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कर्नाटक में महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में मिलेंगी 6 छुट्टी! जल्द नियम लागू कर सकती है सरकार

कर्नाटक सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है. इसको लेकर श्रम मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और महिलाओं के लिए 6 दिन की मासिक छुट्टी की सिफारिश की है. समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. रिपोर्ट में साल में छह दिन मासिक छुट्टी का सुझाव दिया गया है.

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कर्नाटक सरकार महिलाओं को पीरियड्स में छुट्टी देने पर विचार कर रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
कर्नाटक सरकार महिलाओं को पीरियड्स में छुट्टी देने पर विचार कर रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कर्नाटक में प्राइवेट और सरकारी संस्थानों में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है. इसको लेकर श्रम मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और महिलाओं के लिए 6 दिन की मासिक छुट्टी की सिफारिश की है.

समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. रिपोर्ट में साल में छह दिन मासिक छुट्टी का सुझाव दिया गया है. इसको लेकर कर्नाटक सरकार के मंत्री संतोष लाड ने बताया कि समिति की बैठक शनिवार को होनी है. इसे एक प्रक्रिया से गुजरना है. और सरकार को इसे मंजूरी देनी है. मैं इसके बारे में बहुत सकारात्मक हूं.

बता दें कि इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड लीव पर एक मॉडल नीति बनाने को कहा था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि नियोक्ताओं के लिए इस तरह की छुट्टी देना अनिवार्य बनाना महिलाओं और कार्यबल में उनकी भागीदारी के लिए प्रतिकूल होगा.

पीरियड लीव पर भारत में क्या-क्या हुआ? 

भारत में पीरियड लीव पर कोई केंद्रीय कानून या नीति नहीं है. 2020 में जोमैटो ने पीरियड लीव का ऐलान किया था. जोमैटो हर साल 10 दिन की पेड लीव देता है. जोमैटो के बाद और भी कई स्टार्टअप ने ऐसी छुट्टियां देनी शुरू कर दी थीं. भारत में सिर्फ तीन राज्यों- बिहार, केरल और सिक्किम में पीरियड लीव को लेकर नियम हैं. पिछड़ा माने जाने वाला बिहार पहला राज्य था, जिसने अपनी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव का हक दिया था. 

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बिहार में 1992 से कानून है कि राज्य सरकार की महिला कर्मचारी हर महीने दो दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं. ये छुट्टी 45 साल की उम्र तक मिलती है. पिछले साल जनवरी में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सरकारी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं छात्राओं के लिए पीरियड लीव का ऐलान किया था. इसके साथ ही महिला छात्राओं के लिए 75% की बजाय 73% अटेंडेंस को ही अनिवार्य कर दिया गया था.

वहीं इसी साल मई में सिक्किम हाईकोर्ट ने भी रजिस्ट्री में काम करने वाली सभी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने का फैसला लिया है. हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में काम करने वालीं महिलाएं हर महीने दो से तीन दिन की छुट्टी ले सकती हैं. हालांकि, केंद्रीय स्तर पर इसे लेकर कोई कानून या नीति नहीं है. 

संसद में कई बार पीरियड लीव को लेकर कुछ सांसदों ने प्राइवेट बिल जरूर पेश किए, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया. पिछले साल दिसंबर में पूर्व केंद्र में मंत्री रहीं स्मृति ईरानी ने कहा था कि पीरियड के लिए छुट्टी की जरूरत नहीं है. ये कोई बीमारी या विकलांगता नहीं है. उनका कहना था कि पीरियड लीव को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है.

भारत में क्यों नहीं मिलती छुट्टी? 

भारत में लंबे वक्त से पेड पीरियड लीव की मांग उठती रही है, लेकिन इस पर कभी सहमति नहीं बन सकी. केंद्र सरकार भी पेड पीरियड लीव का विरोध करती है. पीरियड लीव का विरोध इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि इससे वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी कम होने का खतरा भी है. तर्क ये भी दिया जाता है कि फिर कंपनियां महिलाओं को नौकरी पर रखने से बचेंगी. 

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दूसरा तर्क ये भी दिया जाता है कि पेड पीरियड लीव कर देने से महिलाएं इसका गलत फायदा भी उठाएंगी. हालांकि, आंकड़े इसे खारिज करते हैं. जापान के सरकारी सर्वे के मुताबिक, 2017 में सिर्फ 0.9% महिलाओं ने ही पीरियड लीव ली थी. इसी तरह साउथ कोरिया में भी 20% से कम महिलाओं ने पीरियड लीव के लिए अप्लाई किया था.

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