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जब DLF के केपी सिंह ने राजीव गांधी के सपने को किया पूरा!

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित 'व्हाई द हेक नॉट' ('Why the heck Not') किताब चर्चा में है. इस किताब में देश के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस लीडर्स में शुमार केपी सिंह ने अपनी जिंदगी से जुड़े किस्सों को शामिल किया है. उन्होंने उन साहसिक जोखिमों और दूरदर्शी निर्णयों के बारे में भी लिखा है, जिसने उनके करियर को आकार दिया. साथ ही उन चुनौतियों के बारे में भी बात की, जिन पर उन्होंने जीत हासिल की.

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DLF ग्रुप के एमेरिटस चेयरमैन कुशाल पाल सिंह. (फाइल फोटो)
DLF ग्रुप के एमेरिटस चेयरमैन कुशाल पाल सिंह. (फाइल फोटो)

DLF ग्रुप के एमेरिटस चेयरमैन केपी सिंह की किताब 'व्हाई द हेक नॉट' चर्चा में है. इस किताब में उन्होंने अपने कई अनछुए किस्सों का जिक्र किया है. केपी सिंह ने बदलते भारत के माध्यम से अपनी यात्रा और उद्योग में अपने अमिट योगदान के बारे में भी बात की. उन्होंने इस किताब में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अपने अनुभव के बारे में भी बताया. राजीव गांधी प्रधानमंत्री बनने के बाद जनरल इलेक्ट्रिक (GE) को भारत लाना चाहते थे और उनकी इच्छा केपी सिंह ने पूरी की थी.

केपी सिंह यानी कुशल पाल सिंह (93 साल) ने यह किताब अपर्णा जैन के साथ मिलकर लिखी है. उन्होंने देश की सबसे बड़ी रियल कंपनी डीएलएफ लिमिटेड की 6 दशक तक जिम्मेदारी संभाली. अब उनके बेटे राजीव सिंह इस कंपनी के चेयरमैन हैं. केपी सिंह के ससुर चौधरी राघवेंद्र सिंह ने साल 1946 में इस कंपनी को शुरू किया था. कुछ साल सेना में काम करने के बाद केपी सिंह ने 1961 में डीएलफ जॉइन कर लिया था. साल 2020 में उन्‍होंने डीएलएफ का अध्‍यक्ष पद छोड़ दिया था. 

जब प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी

नई किताब में लिखा गया है, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक को भारत में लाने का दृढ़ संकल्प लिया था और उनका यह सपना डीएलएफ के केपी सिंह ने पूरी किया था. केपी ने अमेरिकी दिग्गज कंपनी को भारत आने के लिए प्रेरित करने में मदद की थी.

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जब राजीव ने जैक के पास भेजा राजदूत

किताब में जनरल इलेक्ट्रिक (GE) को लेकर विस्तार से बताया गया है कि 80 के दशक के मध्य से लेकर अंत तक राजीव गांधी GE के चेयरमैन और CEO जैक वेल्च को एक बिजनेस आइकन के रूप में सम्मान देते थे. वे जैक वेल्च की कंपनी को भारत लाने के लिए दृढ़ संकल्पित थे और यही वजह थी कि उन्होंने वाशिंगटन में भारत के राजदूत पीके कौल को वेल्च के पास भेजा और उन्हें भारत लाने के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया. लेकिन, वेल्च ने मना कर दिया था. उस समय भारत वैश्विक स्तर पर व्यावसायिक संभावनाओं के लिए नहीं पहचाना जाता था और निवेशकों और उद्यमियों की सूची में प्राथमिकता में नहीं था. जैक ने कौल को यह कहते हुए मना कर दिया थ कि वो भारत आने में अपना समय बर्बाद नहीं करेंगे.

केपी को दी गई वेल्च को मनाने की जिम्मेदारी

केपी सिंह ने 1988 की एक शाम को याद किया और कहा, मैं एक फॉर्मल डिनर में शामिल होने गया तो वहां राजीव गांधी की सचिव सरला ग्रेवाल मिलीं. उन्होंने मुझसे प्रधानमंत्री का सपना पूरा करने का आग्रह किया. चूंकि केपी सिंह जानते थे कि यह कठिन काम है, लेकिन फिर भी कोशिश करेंगे और वो वेल्च से मिलेंगे, उनकी नब्ज टटोलेंगे और देखेंगे कि क्या मैं उन्हें भारत यात्रा के लिए मना सकता हूं.

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ताजमहल देखने आए और उत्साहित हो गए वेल्च

केपी सिंह कहते हैं कि उसी समय वेल्च की शादी हुई थी और हमने प्रस्ताव रखा कि नए कपल को भारत आना चाहिए और 'रोमांटिक ताजमहल' देखना चाहिए. वेल्च तैयार हो गए और वे भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आए. इससे पहले उन्होंने केपी सिंह से कहा था कि मैं किसी पुरानी ख्यालतों को मानने वाले लोगों से नहीं मिलना चाहता. युवा होनहार होते हैं. मैं युवा लीडर्स और कारोबारियों से मिलना चाहता हूं.

जैक ने भारत आकर की थीं बैक टू बैक मीटिंग्स

वेल्च और उनकी पत्नी जेन बेस्ली के स्वागत में रेड कारपेट बिछाई गई. वेल्च ने यहां नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ बैक टू बैक सुबह तक मीटिंग कीं. वेल्च ने राजीव की डायनामिक टीम के साथ ब्रेकफास्ट किया, जिसमें मुख्य प्रौद्योगिकी सलाहकार सैम पित्रोदा, योजना आयोग से जयराम रमेश और राजीव गांधी के विशेष सचिव मोंटेक सिंह अहलूवालिया शामिल थे.

भारत का भविष्य भांपकर प्रभावित हुए थे जैक

सैम ने वेल्च के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया और बताया कि GE के लिए बिजनेस प्रोसेसिंग ऑफिस (BPO) शुरू करने के लिए भारत शायद सबसे अच्छे देशों में से एक है. यह टर्म उन दिनों सुना भी नहीं जाता था. वेल्च भारत की महत्वाकांक्षा की नब्ज को भांपकर प्रभावित हुए. उसके बाद सैम ने जैक को मनमोहन सिंह से मिलवाया, जो आरबीआई के पूर्व प्रमुख थे और उस समय योजना आयोग के प्रमुख थे. 

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मनमोहन सिंह शांति से अपनी कुर्सी पर बैठे थे और उनकी विचारशील बातचीत ने जैक को भारत के भविष्य के बारे में उत्साहित कर दिया. दिल्ली से वेल्च और उनकी पत्नी जयपुर और फिर आगरा गए.

ताजमहल ने कपल पर छोड़ा था जादू

केपी सिंह लिखते हैं, आगरा में सूर्यास्त के समय गुलाबी आकाश के सामने शांत और चमकदार ताजमहल ने जैक और जेन पर अपना जादू चलाया. वे यात्रा से बहुत खुश थे. जैक जब भारत से गए तो वो यहां की यात्रा से अभिभूत थे. 

उसके बाद जो हुआ, वो इतिहास बन गया. साल 1997 में GE कैपिटल इंडिया ने गुड़गांव में एक आधुनिक वाणिज्यिक भवन 'डीएलएफ कॉरपोरेट पार्क' की आठ मंजिलों पर अपना नया कार्यालय स्थापित किया और GE के बैक ऑफिस संचालन को संभालने के लिए एक मंजिल को BPO में बदल दिया. इस शानदार सफलता के साथ ही भारत में बड़े पैमाने पर BPO उद्योग में उछाल शुरू हुआ.

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