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ED पर हमले ने ममता बनर्जी के खिलाफ BJP को मौका दे दिया?: दिन भर, 5 जनवरी

पश्चिम बंगाल में ED पर हमले की पूरी कहानी और ED पर हमले ने ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी को मौका दे दिया, कई अल्पसंख्यक समुदायों के विरोध के बाद अब नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में मूल निवासी समुदाय भी सीएए के विरोध में है. लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. क्या है उनके विरोध का कारण, सोमालिया में हाइजैक हुए जहाज में 15 भारतीय भी हैं, नेवी क्या कर रही है, सुनिए ‘दिन भर’ में.

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ईडी के छापों की खबर तो हम आजकल रोज सुन रहे हैं लेकिन आज सुबह ये खबर आई कि पश्चिम बंगाल में छापा मारने पहुंची ईडी की टीम पर हमला हो गया. किसी को गंभीर रूप से चोट नहीं आई लेकिन गाड़ियों की तस्वीर बता रहा था कि हमला घातक था.हमला होते ही राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई.

बीजेपी ने इस पर तृणमूल सरकार पर हमला बताया और राज्यपाल ने भी इसे कानून व्यवस्था का फैल्योर कहा है हमला उस दौरान हुआ जब टीम राशन घोटाला मामले में टीएमसी नेता शेख शाहजहां और बोनगांव के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शंकर आध्या के बोनगांव घर पर छापा मारने पहुंची थी.

पश्चिम बंगाल में ED पर क्यों हुआ हमला?

ईडी के अधिकारियों के मुताबिक हमला 200 लोगों की भीड़ ने किया और वाहनों ने तोडफोड भी की. इस दौरान असिस्टेंट डायरेक्टर भी मौजूद थे. इसके बाद टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. तो ये हमला किन परिस्थितियों में हुआ, राज्य सरकार की प्रतिक्रिया क्या है? राजनीतिक तौर पर तृणमूल कांग्रेस के लिए ये घटना कितना बड़ा सेटबैक है? सुनिए ‘दिनभर’ की पहली ख़बर में.

 

नॉर्थ ईस्ट में CAA की राह क्यों कठिन ?

दिसंबर के आखिर में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए के लागू होने को कोई रोक नहीं सकता. इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार चुनावों से पहले CAA लागू करने की तैयारी में है. सीएए की बात शुरू होते ही देशभर में प्रोटेस्ट हुए, लेकिन नॉर्थईस्ट में ये सबसे ज्यादा था. वहां करोड़ों की प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ. मुस्लिम समुदाय के विरोध की तो बात है ही लेकिन एक समुदाय और है जो इसके विरोध में है. ये पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासी. यानी वहां बसे आदिवासी लोग सीएए के विरोध में हैं.

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इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम,  नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं. इन सातों राज्यों के मूल लोग जो कहे जाते हैं वो एक ही जाति के हैं. इनका कल्चर भी मिलता जुलता है. इसलिए भी विरोध करने वालों की तादाद काफी बड़ी है.

सरकार चाहती है कि वहाँ रह रहे अवैध प्रवासियों के दबदबे को कम करने के लिए ये जरूरी है लेकिन ये समुदाय कह रहा है कि इससे हमें भी नुकसान होगा. मूल निवासी समुदाय के इस विरोध का कारण क्या है?  7 राज्यों तक फैले इस विरोध को केंद्र सरकार की तरफ से किस तरह एड्रेस करने की कोशिश हो रही है? सुनिए ‘दिनभर’ की दूसरी ख़बर में.

 

हाइजैक जहाज को छुड़ाने का क्या है प्लान?

अरब सागर में सोमालिया के पास एक जहाज को हाइजैक कर लिया गया है, जिसमें 15 भारतीय क्रू मेंबर सवार हैं. ये पूरा मामला कल शाम का है, लेकिन इसकी जानकारी आज सामने आई. लाइबेरिया के फ्लैग वाले इस जहाज का नाम लीला नोर्फोर्क है. मरीन ट्रैफिक के मुताबिक, जहाज ब्राजील के पोर्टो डू एकू से बहरीन के खलीफा बिन सलमान पोर्ट जा रहा था. ये 11 जनवरी को लोकेशन पर पहुंचने वाला था. हाइजैकिंग की जानकारी मिलने के बाद भारतीय नौसेना एक्टिव हो गई है. नौसेना ने अपना एक युद्धपोत आईएनएस चेन्नई किडनैप किए गए जहाज की तरफ रवाना कर दिया है. नौसेना का कहना है कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.

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भारतीय नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक किडनैप किए गए जहाज 'एमवी लीला नॉरफॉक' की तलाशी के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है. इसके पहले भी सोमालिया में समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में माल्टा के जहाज MV रुएन को हाईजैक कर लिया था. जिसे अगले ही दिन भारतीय नौसेना ने रेस्क्यू करा लिया था. क्या है इस हाइजैकिंग की पूरी कहानी, इंडियन नेवी की तरफ से जहाज को रेस्क्यू करने के लिए क्या किया जा रहा है. ऐसी घटनाएं के पीछे क्या कारण है और इससे निपटने के लिए भारतीय एजेंसियों की क्या तैयारी है? सुनिए ‘दिनभर’ की आखिरी ख़बर में.

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