एशियाई गेम्स के ट्रायल से पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को दी गई छूट के खिलाफ पहलवान अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. इसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने साफ कहा कि अदालत इस बात का फैसला नहीं करेगी कि बेहतर पहलवान कौन है? अदालत सिर्फ यह देखेगी कि एशियाई खेलों के लिए पहलवान चयन में पहले से स्थापित और तय प्रक्रिया का पालन हुआ है या नहीं.
याचिका खारिज होने के बाद अंतिम पंघाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया है, लेकिन साथ ही एशियाई खेलों में हम अपने लिए बेहतर मौकों के लिए लड़ते रहेंगे. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. अब हम कानूनी विकल्पों को तलाशेंगे और सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. हमारी मांग है कि सभी को उचित मौका दिया जाना चाहिए.
बता दें कि पहलवान अंतिम पंघाल और सुजीत कलकल की संयुक्त याचिका का उल्लेख जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के समक्ष किया गया था. एडवोकेट अधिवक्ता हृषिकेश बरुआ और अक्षय कुमार द्वारा दायर याचिका में मांग की गई थी कि IOA की ओर से 2 कैटेगिरी (पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किग्रा और महिलाओं की 53 किग्रा) के संबंध में जारी निर्देश को रद्द कर दिया जाए और बजरंग और विनेश को दी गई छूट को रद्द कर दिया जाए. याचिका में मांग की गई थी कि ट्रायल निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए. किसी भी पहलवान को कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए.
अंतिम पंघाल और सुजीत की इस याचिका पर गुरुवार को पहली सुनवाई हुई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने एडहॉक कमेटी से पूछा था कि आखिर किस वजह से बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को ट्रायल्स से छूट दी गई है. भारतीय कुश्ती महासंघ को 23 जुलाई को पहलवानों के नामों की सूची ओसीओ को भेजनी है. विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को मिली ट्रायल में छूट को लेकर यह सवाल उठ रहे हैं कि कुश्ती संघ ने नियमों को ताक पर रखा है. इसे लेकर साक्षी मलिक ने भी नाराजगी जताई है. साक्षी ने कहा है कि एशियन गेम्स के लिए कुछ पहलवानों को बिना ट्रायल के भेजा जा रहा है, मुझे भी इसके लिए एक ईमेल करने को कहा गया था, लेकिन मैंने साफ इनकार कर दिया. यह पहलवानों में फूट डालने की कोशिश है.
वहीं, सुजीत कलकल के पिता दयानंद कलकल ने कहा था कि इन पहलवानों ने जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा था कि उनकी लड़ाई न्याय और जूनियर पहलवानों के हित के लिए है और अब वे जूनियर पहलवानों को किनारे करना चाहते हैं, इसलिए हमें इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख करना पड़ा. उन्होंने कहा कि इन सीनियर पहलवानों के विरोध की शुरुआत ही मुकदमों से छूट पाने की मंशा से की गई थी. इसलिए हमने कभी उनका साथ नहीं दिया. लोग अंधे थे और देख नहीं पा रहे थे कि उनका इरादा क्या है. उन्होंने कहा कि अगर ये सेलिब्रिटी पहलवान प्रतिद्वंद्वी पहलवानों को हरा देंगे तो कोई शिकायत नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए.