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सबसे महंगी बिजली देने वाला राज्य बन जाएगा उत्तर प्रदेश?

जोशीमठ में सरकारी व्यवस्थाएं क्या नाक़ाफी हैं और ग्राउंड ज़ीरो का क्या है हाल, उत्तर प्रदेश में बिजली इतनी महंगी क्यों होने वाली है, दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे बच्चों को इलाज के लिए आर्थिक मदद क्यों नहीं मिल पा रही और सूर्य कुमार यादव, ईशान किशन को क्यों नहीं मिली अंतिम 11 में जगह, सुनिए 'दिन भर' में.

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सबसे महंगी बिजली देने वाला राज्य बन जाएगा उत्तर प्रदेश?: दिन भर, 10 जनवरी
सबसे महंगी बिजली देने वाला राज्य बन जाएगा उत्तर प्रदेश?: दिन भर, 10 जनवरी

जोशीमठ: नाराज़गी के स्वर

एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि जोशीमठ को धंसने से कोई नहीं बचा सकता. सरकार कुछ होटलों और इमारतों को चिह्नित करके ज़मींदोज़ करवा रही है और सलाह दे रही है कि पैनिक के माहौल से बचें. लेकिन जोशीमठ की दरारें सिर्फ मकानों की नहीं हैं. 

वो सस्टेनेबल डेवलपमेंट की हमारी धारणा में भी हैं. एक पूरे शहर के बहुत सारे रहवासी बहुत जल्द विस्थापित कहलाएंगे. सरकार के आश्वासनों के बावजूद उनमें से कुछ संतुष्ट नहीं हैं. आज जोशीमठ में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं.

 

बात अब सिर्फ जोशीमठ तक सीमित नहीं है. रुद्रप्रयाग में गांव है मरोड़ा, यहां गांव के नीचे टनल का काम चल रहा है, रेल आ रही है लेकिन लोग खुश नहीं हैं. उनके पुश्तैनी मकानों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. 

जोशीमठ में कार्रवाई के तहत पहले होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ढहाने की योजना है. ये काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्स इंस्टीट्यूट की निगरानी में होगा. जिनका होटल है, वे कह रहे हैं कि ढहाने के पहले नोटिस और मुआवजा मिलना चाहिए. 

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होटल मालिकों और जोशीमठ के कुछ रहवासियों ने आज विरोध प्रदर्शन करते हुए बद्री विशाल की ओर जाने वाली सड़क को ब्लॉक कर दिया. प्रदर्शन कर रहे लोग क्यों गुस्से में हैं, उनकी क्या मांगे हैं, सरकारी वायदे में और व्यवस्था में क्या अंतर है?  

आगे वहां पर क्या कोर्स ऑफ एक्शन सरकार और एक्सपर्ट्स की टीम लेने जा रही है और हां ये जो एक आशंका है कि बारिश की स्थिति में चीज़ें और बदतर हो सकती हैं, क्या ऐसी कोई चिंता वहां?  'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

 

UP में बढ़ने वाला है बिजली बिल?

पिछले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव था. फोकस में कई मुद्दे थे जिनके इर्द गिर्द चुनावी घोषणा होती रही, उनमे से ही एक थी बिजली. सपा ने 300 यूनिट मुफ्त घरेलू बिजली देने का वादा किया तो बीजेपी ने किसानों को केंद्र में रखा और खेती के लिए मुफ्त बिजली देने की घोषणा की. 

लेकिन या ख़ुदा अब चुनाव ख़त्म हो चुके हैं. और तैयारी अब बिजली के दाम बढ़ाने की है. बिजली कंपनियों ने उत्तर प्रदेश State Electricity Regulatory Commission में साल 2023-24 के लिए annual revenue requirement दाखिल किया है. जिसके मुताबिक कंपनियां बिजली दरों में 18 से 23 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है.  

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हालांकि आख़िरी फैसला राज्य सरकार को लेना है. आंकड़े बताते हैं कि आखिरी मर्तबा यूपी में बिजली के दाम सितंबर 2019 में बढ़ाए गए थे. और अब लगभग साढ़े तीन साल बाद इसमें बढ़ोतरी की बात उठी है. 

18 से 23 फीसदी का इज़ाफा, ये ठीक ठाक बढ़ोतरी होगी अगर हुई तो, क्या फैक्टर्स हैं कि बिजली कंपनियां ऐसा महसूस कर रही हैं? यूपी में बिजली का मेन सोर्स क्या है, क्या बिजली की कोई कमी है या डिस्ट्रीब्यूशन के लेवल पर भी समस्या देखने मिल रही है? 

अगर हम यूपी के बिजली दरों की बाकी राज्यों से तुलना करें तो यूपी की पोजिशन को हम कहां पाते हैं? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
 

बीमारी दुर्लभ, इलाज दूभर

बिहार के सिवान का एक दस साल का बच्चा है. आयुष गुप्ता. उसे एक बीमारी है, DMD यानि डुशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफ़ी. इस बीमारी के इलाज के लिए एक इंजेक्शन चाहिए जिसकी कीमत है 16 करोड़ रुपए. इसी तरह कानपुर के दस महीने के 'कावन' को साढ़े सतरह करोड़ का एक इंजेक्शन चाहिए और इसके लिए उसके पास सिर्फ दो साल हैं. ये वो रेयर डिसीजेज़ हैं, दुर्लभ बीमारियां हैं, जिनका इलाज इतना महंगा है कि किसी भी आम परिवार के लिए संभव नहीं. अकसर आप क्राउड फंडिंग की अपीलें देखते होंगे ऐसेस केसेस में. लेकिन 30 मार्च 2021 को देश की हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बढ़िया काम किया. 

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ऐसी ही कुछ रेयर डिजीज से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए सरकार की ओर से ये व्यवस्था की गई कि पचास लाख रुपये तक का फ्री इलाज सरकारी खर्चे पर हो और उसके आगे मंत्रालय के अधीन एक ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर क्राउडफंडिंग की जाए. और इसी के तहत, देश के 10 अलग-अलग अस्पतालों में रजिस्टर्ड कुल 429 रेयर डिज़ीज़ वाले बच्चों के इलाज में 80 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होना था. पर कहा जा रहा है कि जम़ीन पर ये स्कीम ज़रूरत मंदों तक बिल्कुल नहीं पहुंच रही है.  

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने इसी मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को खत लिखकर कहा कि इस योजना के तहत अबतक किसी भी मरीज को फायदा नहीं मिला है. पीलीभीत से बीजेपी सांसद ने कहा दस से अधिक बच्चे इलाज की राह देखते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि इन 208 बच्चों का फौरन इलाज शुरू किया जाए. तो ये योजना फेल क्यों हुई, क्यों ज़रूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंची, रेयर डिज़ीज़ में और कौन कौन सी बीमारियों को शामिल किया गया है? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

 

पॉलिटक्स के शिकार हो रहे सूर्यकुमार यादव?


श्रीलंका और भारत की वनडे सीरीज़ चल रही है. आज पहला मैच गुवाहाटी में खेला जा रहा है. मैच भारत की तरफ झुका हुआ लग रहा है, क्योंकि टीम इंडिया ने 373 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया है. अब चाहे नतीजा जो भी हो, लेकिन मैच शुरू होने से पहले टीम सेलेक्शन पर ज़बरदस्त चर्चा छिड़ गई है. कप्तान रोहित शर्मा जब टॉस करने आए और प्लेइंग इलेवन की लिस्ट जब सामने आई तो उसमें शानदार फॉर्म में चल रहे सूर्य कुमार यादव और ईशान किशन का नाम नहीं था. 

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आपको याद ही होगा, दो दिन पहले ही सूर्या ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीसरे टी-20 मैच में शानदार शतक लगाया था. ईशान किशन ने एक महीने पहले ODI क्रिकेट की सबसे तेज़ डबल सेंचुरी जमाई थी. ऐसे में इंडियन क्रिकेट फैन्स को ये समझ नहीं आ रहा कि आख़िर क्यों इन दोनों खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी गई. वो भी तब जब टीम इंडिया इसी साल 50 ओवर के ICC वर्ल्ड कप टूर्नामेंट की तैयारी कर रही है. इस सोच के पीछे क्या रणनीति है टीम के थिंक टैंक की और जिन खिलाड़ियों को तरजीह दी गई है, क्या वो इस रेस में सूर्या और ईशान किशन से वाकई आगे हैं? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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