तमिलनाडु के नगर प्रशासन और जल आपूर्ति विभाग (MAWS) में भर्ती घोटाले का खुलासा हुआ है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य पुलिस से इस कथित घोटाले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. एजेंसी का दावा है कि इस भर्ती प्रक्रिया में सरकारी कर्मचारियों और कुछ राजनीतिक नेताओं की भूमिका रही है.
ईडी के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा आयोजित इस भर्ती प्रक्रिया के तहत करीब 2,500 उम्मीदवारों का चयन किया गया, जिनमें से प्रत्येक से 25 से 35 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई. एजेंसी ने कहा कि इस घोटाले से जुड़े सबूत - जैसे दस्तावेज, तस्वीरें और व्हाट्सऐप चैट्स - उसके पास मौजूद हैं.
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ईडी ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को लिखे पत्र में इन सबूतों को साझा किया है और धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 66 के तहत यह जानकारी दी है. इस धारा के तहत ईडी किसी अन्य प्राथमिक जांच एजेंसी, जैसे पुलिस, को सबूत सौंप सकती है ताकि वह प्राथमिकी दर्ज कर सके और ईडी बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच आगे बढ़ा सके.
भर्ती गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार से जुड़े सबूत
ईडी को यह सबूत एक बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच के दौरान मिले, जिसे मूल रूप से सीबीआई ने अप्रैल 2024 में दर्ज किया था. तलाशी के दौरान जब्त किए गए कुछ उपकरणों में 2024-25 और 2025-26 वित्तीय वर्षों में हुई कथित भर्ती गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार से जुड़े साक्ष्य मिले.
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150 उम्मीदवारों की जानकारी एजेंसी ने सौंपी
एजेंसी ने करीब 150 उम्मीदवारों की जानकारी भी साझा की है, जिन्होंने कथित रूप से चयन के लिए रिश्वत दी थी. ईडी का कहना है कि यह पैसा नकद में वसूला गया और बाद में हवाला नेटवर्क के जरिए ट्रांसफर किया गया.
अब ईडी ने तमिलनाडु पुलिस से इस भर्ती घोटाले में एफआईआर दर्ज करने और प्राथमिक जांच शुरू करने की मांग की है, ताकि एजेंसी इस आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सके.