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चिकन और लेग पीस के लिए स्कूल में भिड़े शिक्षक और ग्रामीण, 7 टीचरों को बनाया बंधक

पश्चिम बंगाल के मालदा में एक सरकारी स्कूल में चिकन और लेग पीस को लेकर स्कूल के टीचर और ग्रामीण भिड़ गए. गुस्साए लोगों ने इसके बाद 7 शिक्षकों को कमरे में बंद कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि टीचर बच्चों को दिया जाने वाला चिकन खुद खा जाते हैं और इसके बदले उन्हें कतरन और खराब चावल परोस दिया जाता है.

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चिकन के लिए स्कूल में भिड़े शिक्षक-ग्रामीण
चिकन के लिए स्कूल में भिड़े शिक्षक-ग्रामीण

पश्चिम बंगाल के मालदा में एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाने में चिकन को लेकर बवाल हो गया जिसके बाद ग्रामीणों ने शिक्षकों को कमरे में बंद कर बाहर से ताला जड़ दिया. आरोप है कि स्कूल के टीचर चिकन के साथ अच्छा चावल खाते हैं जबकि छात्रों को सिर्फ चिकन कतरन, हेड, और खराब चावल दिया जाता है.

घटना मालदा के एंग्रेज बाजार प्रखंड के अमृत कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय की है. स्कूल में बवाल के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची. ग्रामीणों का आरोप है कि मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को खराब खाना दिया जाता है जबकि शिक्षक शिक्षक चिकन कीमा, लेग पीस, और महंगा चावल खाते हैं और बच्चों को सिर्फ चिकन का कतरन और खराब चावल दिया जाता है.

बच्चों को खराब खाना दिए जाने को लेकर प्रदर्शनकारी करने वाली मधुमिता दास और कविता हलदर ने कहा, 'हमारे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं, उन्हें सिर्फ चिकन की कतरन खाने को दी जाती है जबकि शिक्षक अच्छे चावल के साथ लेग पीस बनवा कर खाते हैं. 

ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल के हेडमास्टर ने मिड-डे मील का अनाज बेचकर निजी शौचालय बना लिया है जिसका इस्तेमाल किसी और को करने की इजाजत भी नहीं है. इस अव्यवस्था के कारण ग्रामीणों ने स्कूल के सात शिक्षकों को कमरे में बंद कर दिया.

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स्कूल में प्रदर्शन करने वाले लोगों को कहना है कि जब तक प्रशासन आकर आरोपी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता तब तक यह धरना जारी रहेगा. हालांकि स्कूल के हेडमास्टर शांति गोपाल मंडल ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं.

बता दें कि राज्य सरकार ने छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए सरकारी स्कूलों को पौष्टिक आहार वितरित करने का आदेश दिया है. जैसे, मध्याह्न भोजन मेनू में चिकन, चावल और फल शामिल हैं लेकिन राज्य सरकार के इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है. आरोप है कि मिड-डे-मील के बड़े हिस्से से कथित तौर पर प्राइमरी स्कूल के शिक्षक अपना पेट भरते हैं. (इनपुट - मिल्टन पॉल)

 

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