scorecardresearch
 

ग्राहम स्टेंस के हत्यारे दारा सिंह की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार से मांगा जवाब

दरअसल याचिका में दारा सिंह ने कहा है कि वो लगभग 61 साल का है और वो 24 साल से ज्यादा अवधि से जेल में है. उसे कभी पैरोल पर रिहा नहीं किया गया. उसकी मां का निधन हुआ तो वह उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सका. वो दो दशक से अधिक समय पहले किए गए अपराधों को स्वीकार करता है और गहरा खेद व्यक्त करता है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

ओडिशा में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके नाबालिग बेटों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा रबिंद्र कुमार पाल उर्फ दारा सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सिंह ने अपनी अर्जी में सजा माफी कर रिहाई का निर्देश देने की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है.

ग्राहम स्टेंस के हत्यारे दारा सिंह ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का हवाला देते हुए कहा कि दो दशक पहले किए अपराध को वो कबूल करता है. उसे अपने कृत्य पर खेद है. क्योंकि ग्राहम स्टेंस से उसकी कोई निजी दुश्मनी नहीं थी. दारा सिंह की अर्जी पर कोर्ट ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. 

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ के समक्ष दारा सिंह के वकील विष्णु शंकर जैन ने बहस करते हुए कहा कि वो 24 साल से ज्यादा वक्त से जेल में है. जबकि राज्य सरकार की सजा माफी का नियम 25 साल है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट याचिका पर विचार करे.

दरअसल याचिका में दारा सिंह ने कहा है कि वो लगभग 61 साल का है और वो 24 साल से ज्यादा अवधि से जेल में है. उसे कभी पैरोल पर रिहा नहीं किया गया. उसकी मां का निधन हुआ तो वह उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सका. वो दो दशक से अधिक समय पहले किए गए अपराधों को स्वीकार करता है और गहरा खेद व्यक्त करता है. भारत के क्रूर इतिहास पर युवाओं की भावनाओं से प्रेरित होकर उसका मानस क्षण भर के लिए संयम खो बैठा था.

Advertisement

न्यायालय के लिए यह आवश्यक है कि वह केवल कार्रवाई की ही नहीं बल्कि अंतर्निहित इरादे की भी जांच करे. दरअसल, वो भारत की जनता पर मुगल और अंग्रेज शासन में किए गए बर्बर कृत्यों से व्यथित होकर अशांत मनःस्थिति में था. भारत माता की रक्षा और बचाव के उत्साही प्रयास और उन्माद में उसने खेदजनक अपराध किए.

इन कार्यों को संदर्भ में रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत द्वेष के बजाय राष्ट्र की रक्षा करने की उत्कट इच्छा से उसने ये खेदजनक बर्ताव किया. याचिकाकर्ता उन अशांत समय के आसपास की परिस्थितियों की समीक्षा और निष्पक्ष मूल्यांकन चाहता है. उड़ीसा हाईकोर्ट ने 2022 में दारा सिंह और तीन अन्य लोगों को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement