अयोध्या, काशी, मथुरा और संभल की तरह अजमेर शरीफ दरगाह का मामला भी कोर्ट पहुंच गया. हिन्दू सेना ने कोर्ट में दी अर्जी में अजमेर शरीफ दरगाह को महादेव मंदिर बताया गया है. अजमेर की सिविल कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के 2023 के आदेश ने धार्मिक स्थलों पर सर्वेक्षण की मांगों को तेज कर दिया है? ज्ञानवापी से लेकर मथुरा, संभल, अजमेर और धार तक विवादित स्थल अदालतों में पहुंच रहे हैं, जहां प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 पर बहस हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट का 2023 का आदेश, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था, देश में अन्य विवादित धार्मिक स्थलों पर सर्वे की मांगों को हवा दे रहा है. इस फैसले के बाद कई जगहों पर सर्वे की मांग को लेकर अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं.
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ज्ञानवापी केस में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
4 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करने की अनुमति दी गई थी. कोर्ट ने कहा, 'जो एक पक्ष के लिए मामूली बात है, वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था का विषय हो सकती है.'
कोर्ट ने यह भी कहा कि सर्वे 'नॉन-इनवेसिव' तकनीकों से किया जाए. इस सर्वे का मकसद यह पता लगाना था कि 17वीं शताब्दी में बनी यह मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी या नहीं.
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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर कोर्ट का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में भी कहा था कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन्स) एक्ट, 1991 के सेक्शन 3 के तहत किसी धार्मिक स्थल की धार्मिक प्रकृति का निर्धारण करने पर रोक नहीं है. हालांकि, इस कानून का सेक्शन 4 यह सुनिश्चित करता है कि 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था, उसकी प्रकृति नहीं बदली जाएगी.
दूसरे धार्मिक स्थलों पर सर्वे की मांग
ज्ञानवापी केस के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक स्थलों पर सर्वे की मांग उठने लगी.
मथुरा: 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का कोर्ट-निगरानी सर्वे करने की अनुमति दी. हालांकि, 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी और हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को 'अनिश्चित' बताया.
संभल: 19 नवंबर को संभल के मुगल कालीन जामा मस्जिद पर कोर्ट के आदेश पर सर्वे हुआ. इसके बाद 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए.
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अजमेर: 27 नवंबर को अजमेर कोर्ट ने दावा किया कि सूफी संत मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर कभी शिव मंदिर था. इस मामले में तीन पक्षों को नोटिस जारी किया गया.
भोपाल: मध्य प्रदेश के धार जिले में 11वीं सदी के भोजशाला परिसर पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. हिंदू इसे सरस्वती देवी का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद कहते हैं.
ज्ञानवापी का विवाद
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगज़ब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाया था. 21 जुलाई 2023 को वाराणसी जिला कोर्ट ने ASI को मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया. हालांकि, वजूखाना, जहां शिवलिंग होने का दावा है, को सर्वे से बाहर रखा गया.