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'हम नहीं चाहते हमारे घर सर्वे किया जाए', सोशल इकोनॉमिक सर्वे पर सुधा मूर्ति की दो टूक

नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने सोशल इकोनॉमिक सर्वे में भाग लेने से इनकार कर दिया है. उन्होंने सर्वे कर रही टीम से कहा कि हम किसी भी पिछड़े समुदाय से संबंधित नहीं हैं. इसलिए हम इस सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे.

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नारायण और सुधा मूर्ति ने सोशल इकोनॉमिक सर्वे में भाग लेने से किया इनकार. (Photo: ITG)
नारायण और सुधा मूर्ति ने सोशल इकोनॉमिक सर्वे में भाग लेने से किया इनकार. (Photo: ITG)

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और प्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति ने पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा आयोजित सामाजिक-शैक्षिक सर्वेक्षण में भाग लेने से इनकार कर दिया है. उनके इस कदम से न केवल सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर चर्चा शुरू हो गई है, बल्कि उनकी राय ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण करने वाली टीम जब उनके घर पर पहुंची तो दंपत्ति ने स्पष्ट रूप से कहा, 'हम नहीं चाहते कि हमारे घर पर ये सर्वेक्षण हो.'

प्राप्त जानकारी के अनुसार, नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने इस सर्वेक्षण को अपने लिए प्रासंगिक नहीं माना. उन्होंने तर्क दिया कि वे किसी भी पिछड़े समुदाय से संबंधित नहीं हैं, इसलिए सरकार द्वारा ऐसे समूहों के लिए आयोजित सर्वेक्षण में उनकी भागीदारी का कोई औचित्य नहीं है.

पिछले समुदाय से नहीं है संबंध: सुधा मुर्ति

वहीं, सुधा मूर्ति ने सर्वेक्षक के फॉर्म पर ये बयान लिखकर हस्ताक्षर भी किए हैं, जिसमें कहा गया, 'हम किसी भी पिछड़े समुदाय से संबंधित नहीं हैं. इसलिए हम इस सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे.' इसके साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि इस तरह के सर्वेक्षण का सरकार के लिए कोई महत्व या इस्तेमाल नहीं है.

'हम इससे बाहर रहना चाहते हैं'

दूसरी ओर दंपति ने एक स्व-घोषणा पत्र के माध्यम से अपने इस फैसले को औपचारिक रूप दे दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि वे इस अभ्यास से बाहर रहना चाहते हैं. ये कदम उनके व्यक्तिगत रुख को दर्शाता है जो सामाजिक-आर्थिक डेटा संग्रहण के लिए सरकारी पहल के प्रति उनकी असहमति को उजागर करता है.

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आपको बता दें कि सामाजिक-शैक्षिक सर्वेक्षण पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा देश के विभिन्न समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए आयोजित किया जा रहा है, ताकि नीति निर्माण में सहायता मिल सके. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना है. हालांकि, मूर्ति दंपति का इस सर्वेक्षण से इनकार एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दे सकता है.

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