महिला अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ‘ब्रेकथ्रू’ ने बेटी दिवस (डॉटर्स डे) के अवसर पर अपनी शॉर्ट फिल्म ‘ब्याह न कराओ बाबा’ रिलीज की. ‘डॉटर्स डे’ हर वर्ष सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है. इस वर्ष, हम महामारी के निरंतर प्रभाव की पृष्ठभूमि में बेटी दिवस मना रहे हैं. महामारी का लड़कियों पर बहुत प्रभाव पड़ा है. इस वर्ष का बेटी दिवस लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने और उनके लिए समाज में एक बेहतर जगह सुनिश्चित करने के लिए साहसिक हस्तक्षेप का आह्वान करता है.
यह दिन खास तौर से बेटियों को समर्पित होता है जिसमें माध्यम से माता-पिता अपने जीवन में बेटी होने के लिए अपने को आभारी मानते हैं. भारत जैसे देश में जहां लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है और कदम-कदम पर लड़कियों के साथ भेदभाव होता है वहां इस तरह के दिवस उनके महत्व को स्थापित करने में काफी उपयोगी हो जाते हैं. इस दिन के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि बेटियां भी बेटों के बराबर ही प्यार और देखभाल की हकदार हैं.
इस अवसर पर ब्रेकथ्रू की सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य ने कहा कि इस शॉट फिल्म के माध्यम से हमारी कोशिश है कि परिवार से लेकर समाज तक बेटियों का महत्व समझे. लिंग के आधार पर उनके साथ भेदभाव व हिंसा ना हो, उनको अपने सपने जीने और खुद फैसले लेने की आजादी हो, वह भी बिना किसी डर के घर से बाहर उसी तरह निकल सके, जिस तरह से लड़के निकलते हैं. एक समानता वाला समाज बनाना तभी संभव है जब लड़का और लड़की में कोई भेद न हो और इसके लिए, एक समाज के रूप में, हमें साहसिक हस्तक्षेप शुरू करने की आवश्यकता है जिससे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन और लड़कियों का सशक्तिकरण हो सके.
सोहिनी भट्टाचार्य आगे कहती हैं कि 21 वीं सदी में हम चांद और मंगल ग्रह पर कदम रखने की बात जरूर कर रहे है लेकिन बेटी को इस जमीन पर ही कदम नहीं रखने देना चाहते. बेटे की चाहत में उसे पैदा ही नहीं करना चाहते और अगर वो पैदा हो भी गई तो उसे कदम-कदम पर भेदभाव व हिंसा सामना करना पड़ता है. यह शॉर्ट फिल्म लड़कियों के साथ होने वाले इसी भेदभाव की परतों को खोलती है.