आज से 4 दिन बाद यानी 25 नवंबर को राजस्थान में मतदान होगा. भाजपा का घोषणा पत्र पहले ही जारी हो चुका था.. इंतज़ार था तो कांग्रेस के घोषणा पत्र का. पहले इसे कल जारी करना था, लेकिन लेटेस्ट अपडेट ये है कि इसे आज जनता के सामने रखा जाएगा. घोषणा पत्र में प्रदेश की आधी आबादी, किसानों और युवाओं के लिए कई बड़ी घोषणाएं देखने को मिल सकती हैं. मेनिफ़ेस्टो में देरी की वजह आखिरी मौके पर किए जा रहे बदलाव को बताया जा रहा है, क्योंकि 3-4 दिन पहले बीजेपी अपना मेनिफ़ेस्टो जारी कर चुकी थी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी इसे जारी करेंगे. महीनों से चल रहे प्रचार में मंचों पर से कई वादे पहले ही किए जा चुके हैं, आज क्या नई बात पढ़ने-सुनने को मिलेगी और जादूगर अपनी पोटली से कुछ ऐसा भी निकाल सकते हैं, जो सबको हैरान कर देगा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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महाराष्ट्र में इसी साल 2 जुलाई को अजित पवार, शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए. पार्टी बदलकर सीधे डिप्टी CM बन गए. और फिर शुरू हुई लड़ाई जो महाराष्ट्र ने साल भर पहले भी देखा था. तब लड़ाई असली शिवसेना की थी और अब जो चल रही है वो असली एनसीपी की है. चाचा शरद पवार से बगावत कर अजीत पवार पार्टी को अपने नाम करने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
पार्टी किसकी किसकी होगी, इसे चुनाव आयोग को तय करना है. तो कल दिल्ली में इसकी सुनवाई हुई. इस केस की पिछली सुनवाई 2 नवंबर को हुई थी. शरद पवार गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी किया. जिसमें उन्होंने अजीत पवार गुट के ऊपर शपथ पत्र में में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. सिंघवी ने चुनाव आयोग को बताया था कि 20,000 शपथ पत्रों की जांच करने के बाद 8,900 शपथ पत्र ऐसे पाए गए, जिनसे इनके फर्जी होने का पता चलता है. एनसीपी पर हो रहे दावे को लेकर पार्टी के दोनों गुटों ने अपने-अपने दावों के समर्थन में अलग-अलग दस्तावेज जमा किए हैं. शरद पवार गुट जिस जालसाज़ी की बात कर रही है, ये आरोप कितना गंभीर हैं, और चुनाव आयोग के सामने क्या तर्क रखे गए? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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जो पांच राज्य चुनाव के प्रोसेस से गुज़र रहे हैं, उनके बारे में इलेक्शन कमिशन ने कल एक सूचना साझा की. इन राज्यों से आचार संहिता लागू होने के बाद से अभी तक कुल 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती हुई है. आयोग के अनुसार ही ये इन पांच राज्यों में पिछले चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़ों की तुलना में 636 प्रतिशत अधिक है, दूसरे तरीके से कहें तो सात गुना अधिक है.
पिछले चुनाव में इन राज्यों से 240 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे. तेलंगाना जहां 30 नवंबर को चुनाव होने जा रहे हैं और वहां सबसे अधिक छह सौ उनसठ करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई. इसके बाद राजस्थान में छह सौ पचास करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में तीन सौ तेईस करोड़ रुपये. इसके अलावे छत्तीसगढ़ में छिहतर करोड़ रुपये और मिजोरम में उन्चास करोड़ रुपये. चुनाव आयोग की मिली सफ़लता का कारण क्या है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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