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'शोषण के लिए बने थे पुराने आपराधिक कानून', चंडीगढ़ में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नए आपराधिक कानून सभी नागरिकों के लाभ के लिए संविधान में निहित आदर्शों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम हैं. नए कानून ऐसे समय में लागू हुए हैं, जब देश विकसित भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है और संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऐसे में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित भारतीय न्याय संहिता का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण अवसर है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर: X/@BJP4India)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर: X/@BJP4India)

चंडीगढ़ देश की पहली ऐसी यूनियन टेरिटरी बन गई है, जहां तीनों आपराधिक कानूनों का 100 प्रतिशत क्रियान्वयन किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ये नए कानून नागरिकों के अधिकारों के रक्षक और न्याय की सुगमता का आधार बन रहे हैं. ये कानून - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - 1 जुलाई को प्रभावी हुए, जिन्होंने क्रमशः ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली. 

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नए आपराधिक कानून सभी नागरिकों के लाभ के लिए संविधान में निहित आदर्शों को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम हैं. नए कानून ऐसे समय में लागू हुए हैं, जब देश विकसित भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है और संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऐसे में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित भारतीय न्याय संहिता का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण अवसर है. ये कानून औपनिवेशिक काल के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं. 

पीएम मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक काल के कानून अंग्रेजों द्वारा भारत पर शासन करने के दौरान किए गए अत्याचारों और शोषण का माध्यम थे. उन्होंने कहा, "1857 की क्रांति ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और 1860 में वे आईपीसी लेकर आए और बाद में भारतीय साक्ष्य अधिनियम और सीआरपीसी ढांचा अस्तित्व में आया. उन कानूनों का उद्देश्य भारतीयों को दंडित करना और उन्हें गुलाम बनाए रखना था. 1947 में जब सदियों की गुलामी के बाद, पीढ़ियों के इंतजार के बाद, अनगिनत बलिदानों के बाद हमारा देश आजाद हुआ, जब आजादी की सुबह हुई, तो देश में कैसे-कैसे सपने थे, कैसा-कैसा उत्साह था." 

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प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों को लगता था कि अंग्रेज चले गए हैं, तो उन्हें ब्रिटिश कानूनों से भी मुक्ति मिल जाएगी. ये कानून अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचारों और शोषण का माध्यम थे. ये कानून तब बनाए गए थे, जब ब्रिटिश शासन भारत पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. हालांकि, मोदी ने कहा कि यह देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और नागरिकों को गुलामों की तरह मानने की मानसिकता के इर्द-गिर्द घूमते रहे. 

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