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युवकों ने तोड़ी बिरयानी आउटलेट में लगी बहादुर शाह जफर की तस्वीर, कहा- औरंगजेब का वंशज है ये

दक्षिणपंथी संगठन से ताल्लुक रखने वाले ये युवक बिरयानी की दुकान पर गए थे, यहां उन्होंने बहादुर शाह जफर की तस्वीर देखी. उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 'औरंगजेब के वंशज' की तस्वीर दीवार पर क्यों टांगी गई है और आउटलेट के कर्मचारियों से इसे हटाने के लिए कहा. ऐसा करने पर युवकों ने तस्वीर को तोड़ दिया.

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बहादुर शाह जफर
बहादुर शाह जफर

महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में एक बिरयानी आउटलेट की दीवार पर टंगी बहादुर शाह जफर की तस्वीर को युवकों के एक समूह ने तोड़ दिया. उन्होंने अंतिम मुगल बादशाह को 'औरंगजेब का वंशज' करार दिया. पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इधर, कोल्हापुर के राजारामपुरी थाने के एक अधिकारी ने कहा कि घटना के संबंध में किसी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.

दरअसल दक्षिणपंथी संगठन से ताल्लुक रखने वाले ये युवक बिरयानी की दुकान पर गए थे, यहां उन्होंने बहादुर शाह जफर की तस्वीर देखी. उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 'औरंगजेब के वंशज' की तस्वीर दीवार पर क्यों टांगी गई है और आउटलेट के कर्मचारियों से इसे हटाने के लिए कहा. अधिकारी ने बताया, "कर्मचारी इस बात को मान गए, लेकिन उन्होंने तस्वीर नहीं हटाई. बुधवार की रात ये समूह ने फिर से आउटलेट में पहुंचा. इस बार उन्होंने बहादुर शाह जफर की तस्वीर को नीचे उतारा और उसे तोड़ दिया."

बता दें कि बहादुर शाह ज़फ़र 20वें और अंतिम मुग़ल बादशाह थे और एक उर्दू कवि भी थे. 1862 में बर्मा (वर्तमान म्यांमार) के रंगून में 87 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई, जहां उन्हें 1857 के विद्रोह के बाद निर्वासित कर दिया गया था. दरअसल, 1857 में ब्रिटिशों ने तकरीबन पूरे भारत पर कब्जा जमा लिया था. ब्रिटिशों के आक्रमण से तिलमिलाए विद्रोही सैनिक और राजा-महाराजाओं को एक केंद्रीय नेतृत्व की जरूरत थी, जो उन्हें बहादुर शाह जफर में दिखा. बहादुर शाह जफर ने भी ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व स्वीकार कर लिया. लेकिन 82 वर्ष के बूढ़े शाह जफर अंततः जंग हार गए और अपने जीवन के आखिरी वर्ष उन्हें अंग्रेजों की कैद में गुजारने पड़े.

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