मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सुनवाई के इच्छुक नहीं हैं. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर भी टिप्पणी की, जिसमें अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका खारिज करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही था.
बता दें कि याचिका महक माहेश्वरी ने दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि जिस जगह ईदगाह मस्जिद है, वहीं श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है. इसलिए कोर्ट उस जगह पर हिंदुओं के पूजा-अर्चना का अधिकार सुनिश्चित करे. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले महक याचिका लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट भी पहुंची थीं. लेकिन वहां से उनके हाथ निराशा लगी थी.
अलग से सुनवाई की जरूरत नहीं: SC
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया था कि इस मसले पर पहले से ही कई मुकदमे कोर्ट के सामने लंबित हैं, जिनमे ये मुद्दे उठाया गया है. लिहाजा इस पर अलग से सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है. याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी ने इस आदेश को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
बता दें कि काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
ढाई एकड़ पर कब्जे की लड़ाई
मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.