2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव को उसकी बीमार मां की देखभाल के लिए दी गई अंतरिम जमानत की अवधि सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते और बढ़ा दी है. हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह आखिरी विस्तार होगा और इसके बाद कोई और राहत नहीं दी जाएगी.
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यादव से कहा कि यदि वह सजा में छूट या जल्दी रिहाई चाहता है तो उसे इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने बिना किसी छूट के 25 साल की सजा को चुनौती दी थी.
इससे पहले 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की मां की तबीयत को लेकर एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार किया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि उनकी मां की हालत हेमोडायनामिक रूप से स्थिर है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है. इसके बावजूद, मां की देखभाल की जरूरत को ध्यान में रखते हुए विकास यादव को एक लाख रुपये की जमानत राशि और समान राशि के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई थी.
एम्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि पारंपरिक इलाज जैसे दवाएं और फिजियोथेरेपी से राहत नहीं मिलती, तो स्पाइन की सर्जिकल डिकम्प्रेशन की जरूरत हो सकती है. इसी आधार पर कोर्ट ने पूर्व में भी जमानत अवधि बढ़ाई थी.
अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ संकेत दे दिए हैं कि विकास यादव को आगे कोई राहत नहीं दी जाएगी और उसे रिहाई से जुड़ी मांग लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जाना होगा. यह फैसला विकास यादव के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.