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NGT का बड़ा एक्शन, NHAI पर लगाया 45 करोड़ का फाइन, ये हैं बड़े आरोप

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने एक फैसले में NHAI पर 45 करोड़ रुपये का फाइन लगा दिया है. एनजीटी में अथॉरिटी द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन और परियोजना के निर्माण में पेड़ों की कटाई को लेकर याचिका दायर की गई थी. तीन सदस्यीय बेंच ने तीन महीने के भीतर यह रकम जमा कराने का आदेश दिया है.

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एनजीटी | File Photo
एनजीटी | File Photo

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हरियाणा में बुनियादी ढांचों के निर्माण के दौरान कई नियमों के उल्लंघन के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया या NHAI पर 45 करोड़ रुपए का फाइन लगाया है. अथॉरिटी पर परियोजना के तहत कुछ गलियारों और मार्गों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन का आरोप था.

एनजीटी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-148 एनए (डीएनडी-फरीदाबाद-कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे में भारतमाला परियोजना में नियमों के उल्लंघन पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया और NHAI को मुआवजा देने का आदेश दिया.

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एनएचएआई पर क्या थे आरोप?

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की बेंच ने कहा कि एनएचएआई के खिलाफ आरोपों में गुरुग्राम के हाजीपुर गांव के जंगल का अवैध रूप से इस्तेमाल और नूंह के किरंज गांव के तालाब के किनारे पेड़ों की कटाई के साथ-साथ 441 पेड़ों की अवैध कटाई के आरोप शामिल हैं.

तीन सदस्यीय बेंच के सामने एनएचएआई पर चौथा आरोप सोहना-पलवल राजमार्ग और नए राजमार्ग (एनएच-148 एनए) के जंक्शन पर एक पुलिया को हुए नुकसान के संबंध में था, जबकि पांचवां और छठा उल्लंघन किरंज में दो नालों और तालाब के अतिक्रमण को लेकर था.

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परियोजना की लागत का 5 फीसदी देना होगा फाइन

एनजीटी की बेंच ने 13 फरवरी के अपने आदेश में माना कि हाईवे अथॉरिटी ने नियमों के उल्लंघन किए हैं, जिसमें पहले से ही निर्माण ढांचों के विध्वंस भी शामिल हैं. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि प्रतीकात्मक राशि के बजाय, पर्यावरण की बहाली के लिए जुर्माना "वास्तविक और पर्याप्त" होना चाहिए.

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एनजीटी बेंच ने कहा, "अगर हम परियोजना की लागत 908 करोड़ रुपये लेते हैं, तो इसका 5 फीसदी 45.4 करोड़ रुपये होता है और राउंड ऑफ करके, हम इसे 45 करोड़ रुपये कर देते हैं. हमारे विचार में 45 करोड़ का पर्यावरण मुआवजा एनएचएआई पर लगाया जाना उचित है. ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को यह रकम हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास तीन महीने में जमा करानी होगी.

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