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'कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र क्यों ले गए थे पंडित नेहरू?' राज्यसभा में गरजीं निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कारण कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया गया था. तत्कालीन पीएम नेहरू ही इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गए थे.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे को छेड़ा. (फाइल)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे को छेड़ा. (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कश्मीर मुद्दे पर फिर कांग्रेस पर हमलावर हुई BJP
  • नेहरू पर लगाया कश्मीर मसले को उलझाने का आरोप

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर अंतरराष्ट्रीयकरण करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर नहीं ले जाना चाहिए था क्योंकि यह एक भारतीय का अंदरूनी मुद्दा था. राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 जम्मू कश्मीर के बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए ये बातें कहीं. 

तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले युद्ध के बाद जनवरी 1948 में दायर याचिका के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपील की थी. इस याचिका के आधार पर सुरक्षा परिषद ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के लिए भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र आयोग बनाया था. 

सदन में बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, "यह (कश्मीर मुद्दा) अनिवार्य रूप से भारत से संबंधित मुद्दा है. कांग्रेस इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गई. हमारे पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले गए. क्यों? क्योंकि अंग्रेजों ने उन्हें कुछ सुझाव दिया होगा कि यह मुद्दा हल नहीं होगा, और पीएम नेहरू इसे संयुक्त राष्ट्र में ले पहुंचे.'' पाकिस्तान का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, "आज तक हमारा पड़ोसी मुल्क इसका दुरुपयोग कर रहा है."

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निर्मला सीतारमण ने आगे कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा, ''यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे वैश्विक मंच पर नहीं जाना चाहिए था. यह अनिवार्य रूप से एक भारतीय मुद्दा है, हम इसे संभाल सकते थे. हम इसे अभी संभाल रहे हैं और अब इसका अंतर भी दिख रहा है."

उदाहरण देते हुए राज्यसभा में वित्त मंत्री ने कहा कि घाटी में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में अब कमी आ रही है. जम्मू-कश्मीर में इस साल 38 आतंकी मारे गए. वहीं, पिछले साल 180 आतंकी मारे गए, इनमें 42 शीर्ष कमांडर भी शामिल थे. यही नहीं, आतंकवादी संगठनों की भर्ती में 16 फीसदी तक की कमी आई है. इसके अलावा पिछले साल घुसपैठ की घटनाओं में 33 फीसदी  कमी आई और संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन में 90% और आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में 61 फीसदी की कमी देखी गई.

 

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