मुंबई के पवई में रोहित आर्य नाम के शख्स ने एक स्टूडियो के भीतर 17 बच्चों को बंधक बना लिया था. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला. इस ऑपरेशन के दौरान घायल रोहित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. अब इस पूरे मामले पर चश्मदीद रोहन आहेर का बयान सामने आया है.
चश्मदीद रोहन इस प्रोजेक्ट पर आरोपी के साथ काम कर रहा था. लेकिन उसकी सूझबूझ ने एक बड़ा हादसा टालने में मदद की. रोहन ने आरोपी के साथ पहले भी प्रोजेक्ट्स पर साथ काम किया था लेकिन पैसों के विवाद की वजह से वह तीसरे प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हुआ लेकिन बाद में चौथे प्रोजेक्ट पर आरोपी से फिर जुड़ गया था.
रोहन ने आज तक के साथ बातचीत में बताया कि मैं रोहित को कई वर्षों से जानता था. उसने खुद ही मुझे इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए बुलाया था. मुझे कभी नहीं लगा था कि वह ऐसा कुछ करेगा. मैं दो से तीन महीने से उसके साथ काम कर रहा था. उसने मुझे बताया था कि पहले बच्चों के ऑडिशन किए जाएंगे. इसके बाद मार्च में जाकर फिल्म की शूटिंग शुरू होगी. मैंने जब उससे स्क्रिप्ट मांगी तो उसने कहा कि अभी स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है. हम पहले ऑडिशन कर लेते हैं. रोहित आर्य ने बच्चे भी खुद से ही अरेंज किए थे.
इस पूरे प्रोजेक्ट में रोहन की क्या भूमिका थी? इसके बारे में पूछने पर उसने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में मेरी भूमिका टीचर की तरह थी. मैं प्रोजेक्ट कंट्रोलर के तौर पर भी काम कर रहा था. लेकिन स्टूडियो (RA) रोहित ने ही हायर किया था. ऑडिशन के लिए बच्चों को भी उन्होंने ही बुलाया था.
रोहन ने बताया कि ये बच्चे चार दिन से मेरे साथ थे. बच्चों को यही मालूम था कि फिल्म बन रही है. उसका ऑडिशन चल रहा है, वर्कशॉप होगी और ट्रायल शूट होगा. यही इंफॉर्मेशन हमारे पास भी थी कि पहले ऑडिशन होगा. 29 अक्टूबर को ये सारी चीजें खत्म हो गई थी. लेकिन रोहित ने बोला कि 30 तारीख को भी एक्सटेंड करेंगे और उन्होंने 30 को ये कर दिया.
30 अक्टूबर को क्या देखा?
30 अक्टूबर की घटना के बारे में पूछने पर रोहन ने बताया कि कल सुबह 9.30 बजे का हमारा शेड्यूल था. लेकिन मैं लेट हो गया था. हमारा स्पॉटबॉय दरवाजे पर खड़ा था और रोहित ने स्पॉटबॉय को कह रखा था कि कोई भी आए, उसे अंदर नहीं आने देना. मैंने पूछा तो उसने बताया कि रोहित बच्चों के साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं. मैंने समझा कि डायरेक्टर है तो प्रैक्टिस कर रहे होंगे. सबकुछ नॉर्मल लग रहा था लेकिन मुझे शक उस समय हुआ जब मैं लैपटॉप लेके नीचे गया और चाबी लेने ऊपर आया तो रोहित ने मुझे चाबी देने से मना कर दिया. तब मुझे क्लिक हुआ कि कुछ तो लफड़ा है.
रोहन ने बातया कि मुझे ट्रिगर तब हुआ जब चाबी देने से मना कर दिया. मैं दौड़कर नीचे आया और अपने रवि भाई को बताया कि कुछ तो गड़बड़ है, ये चाबी लेकर बैठा है. कुछ तो इसके दिमाग में चल रहा है. उस वक्त उसने पागल जैसा बिहेव करना शुरू कर दिया था. तब रवि पुलिस स्टेशन गए.
रोहन ने बताया कि मैं नीचे आया तो पुलिस ने मुझसे बात करनी शुरू कर दी. पुलिस ने मुझे बता दिया था कि हम पीछे से आ रहे हैं, तुम तैयार रहना. मैंने पुलिस के घुसने के लिए बाहर का शीशे का दरवाजा हथोड़े से तोड़ दिया था, जिसमें मुझे चोट भी लग गई. लेकिन जैसे ही कांच टूटा रोहित ने मुझ पर पेपर स्प्रे से हमला कर दिया और मैं नीचे गिर गया. मैं ऊपर भागा और मैंने बच्चों को लेकर नीचे भागा और उन्हें बोल दिया कि स्टूडियो अंदर से लॉक करके रखो और जब तक मैं आवाज ना दूं, खोलना नहीं. लेकिन एकदम सही समय पर पुलिस आ गई.
चश्मदीद रोहन ने बताया कि मैंने इस बीच रोहित को समझाने की भी कोशिश की थी लेकिन वह पूर्व मंत्री दीपक केसरकर से बात करने की जिद पर अड़ा हुआ था. वो मेरी सुन ही नहीं रहा था.