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'असम राइफल्स की जगह CRPF की तैनाती का फैसला वापस लें', मणिपुर के विधायकों ने PM मोदी को सौंपा ज्ञापन

ज्ञापन में तर्क दिया गया है कि 'बफर-ज़ोन' में वर्तमान यथास्थिति बनाए रखने के लिए असम राइफल्स की मौजूदगी अपरिहार्य है. अपील की गई है कि उनकी जगह असम राइफल्स की अन्य बटालियनों को लाया जा सकता है.

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मणिपुर के विधायकों ने पीएम मोदी को सौंपा ज्ञापन (सांकेतिक तस्वीर)
मणिपुर के विधायकों ने पीएम मोदी को सौंपा ज्ञापन (सांकेतिक तस्वीर)

मणिपुर के 10 कुकी-ज़ोमी-हमार के विधायकों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें असम राइफल्स की 9वीं और 22वीं बटालियन की जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती के केंद्र सरकार के फैसले को वापस लेने की अपील की गई है.

ज्ञापन में तर्क दिया गया है कि 'बफर-ज़ोन' में वर्तमान यथास्थिति बनाए रखने के लिए असम राइफल्स की मौजूदगी अपरिहार्य है. अपील की गई है कि उनकी जगह असम राइफल्स की अन्य बटालियनों को लाया जा सकता है.

ज्ञापन में लगाया पक्षपाती तत्वों के दबाव का आरोप
 
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि कांगवई और कांगपोकपी से असम राइफल्स की 9वीं बटालियन और 22वीं बटालियन को वापस लेने का फैसला राज्य सरकार में 'पक्षपातपूर्ण तत्वों' के दबाव के बाद लिया गया है.
 
ज्ञापन में लिखा है, 'हमें पता चला है कि राज्य सरकार में सांप्रदायिक रूप से पक्षपाती तत्वों के दबाव के बाद AR की 9वीं और 22वीं बटालियन को कांगवई और कांगपोकपी से वापस लेने की योजना है.' 

प्रधानमंत्री से किया हस्तक्षेप का अनुरोध

ज्ञापन में कहा गया है कि इस महत्वपूर्ण समय में एआर बटालियन को सीआरपीएफ से बदलने का फैसला कुकी-ज़ो समुदाय के खिलाफ मैतेई बहुसंख्यक जातीय अभियान को तेज करने के अलावा और कुछ नहीं है. 10 विधायकों ने 'न्याय के हित में' फैसले को वापस लेने या सुधार के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का अनुरोध किया है.

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सीएम बीरेन सिंह ने पेश किए हिंसा के आंकड़े

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि राज्य में हुई हिंसा में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं, 39 लापता हैं और 11,133 घरों को आग के हवाले किया जा चुका है जिससे 4,569 घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में अब तक हिंसा से जुड़े 11,892 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

सीएम ने जानकारी दी कि पिछले साल मई से जारी हिंसा के कारण 59,414 विस्थापित लोग राहत शिविरों में हैं. कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. 5,554 किसानों की कृषि भूमि बर्बाद हो गई है, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है. इस अराजकता के कारण 39 लोगों के लापता होने की सूचनी मिली है जिससे लोगों में बड़े पैमाने पर निराशा और अनिश्चितता बढ़ गई है.

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