कर्नाटक सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को मैसूर के प्रसिद्ध दशहरा समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. यह याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि किसी गैर-हिंदू की भागीदारी किसी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है. याचिका में दलील दी गई है कि चामुंडेश्वरी मंदिर परिसर में होने वाली परंपरागत 'अग्र पूजा' केवल सनातन परंपरा के अनुसार ही हो सकती है और इसे गैर-हिंदू व्यक्ति द्वारा नहीं कराया जा सकता. याचिका के मुताबिक, यह निर्णय सरकार का नहीं बल्कि धार्मिक परंपरा और मंदिर से जुड़े लोगों का होना चाहिए.
शुक्रवार को हो सकती है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई कर सकती है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि दशहरा उत्सव का उद्घाटन चामुंडेश्वरी मंदिर की पूजा से होता है और यह पूजा केवल धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार ही की जा सकती है.
क्यों खड़ा हुआ विवाद?
सरकार के इस फैसले पर विवाद इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि अब तक दशहरा की शुरुआत अग्र पूजा से होती रही है, जिसमें परंपरागत रूप से सनातन धर्मावलंबी ही मुख्य अतिथि या यजमान बनते रहे हैं. सरकार के फैसले को लेकर यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे करोड़ों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.