कर्नाटक में जाति जनगणना को लेकर उभरे विवाद के बीच वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख नेता एकजुट होकर सामने आए हैं. हाल ही में जारी सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए, इन नेताओं ने जनगणना के तरीकों और उसके निष्कर्षों पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
बीती रात सत्ताधारी दल के कई मंत्रियों समेत अलग-अलग दलों के नेताओं ने बैठक की और इस दौरान सर्वे रिपोर्ट को "गंभीर अन्याय" करार दिया. विवाद इस बात को लेकर है कि सर्वे में कुंचितिगा उप-समुदाय और वोक्कालिगा समुदाय को अलग-अलग गिना गया है. बैठक में नेताओं ने इस कदम को अनुचित और समुदाय के हित में हानिकारक बताया.
इस बीच कुछ दलित मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से जाति जनगणना के पक्ष और विपक्ष पर चर्चा करने के लिए 3-4 दिनों का विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की है.
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हेगड़े ने समुदाय के साथ न्याय नहीं हुआ!
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए, जो खुद एक बंट वोक्कालिगा हैं. नेताओं ने आरोप लगाया कि हेगड़े ने समुदाय के साथ न्याय नहीं किया और मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर काम कर रहे हैं.
एक वरिष्ठ वोक्कालिगा मंत्री ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "सर्वेक्षण को ठीक से नहीं किया गया. यह हेरफेर प्रतीत होता है और इस पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता." कुछ नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर इसी सर्वे के आधार पर जाति जनगणना लागू होती है, तो वोक्कालिगा समुदाय राजनीतिक रूप से किनारे कर दिया जाएगा और पारंपरिक वोट आधार खोने का खतरा रहेगा.
कैबिनेट की बैठक में उठाएंगे मुद्दा
वोक्कालिगा समुदाय के मंत्रियों ने स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे को आगामी कैबिनेट बैठक में उठाएंगे. उन्होंने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से अनुरोध किया कि वे इस मामले को मजबूती से उठाएं और सुनिश्चित करें कि समुदाय की चिंताओं का समाधान हो. शिवकुमार भी वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं.
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विपक्ष ने सरकार को इस कथित विवादित जाति जनगणना पर घेरने की तैयारी कर ली है, जिससे सत्ताधारी दल पर दबाव और बढ़ गया है. इनके अलावा, लिंगायत, तिगाला, यादव और ब्राह्मण जैसे अन्य समुदाय भी जनगणना का विरोध कर रहे हैं, जिससे कर्नाटक की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है.