साल 1999 में हुए कंधार विमान हाईजैक को 24 साल बीत चुके हैं. इतना लंबा समय गुजर जाने के बाद अब उस फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. देवी शरण ने बताया है कि उन्होंने गुप्त रूप से एक ऐसा प्लान बनाया था, जिसकी जानकारी उनके को-पायलट को भी नहीं थी. इस प्लान के जरिए वह पाकिस्तान के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विभाग को डराना चाहते थे, ताकि उन्हें ATC से विमान लैंड करने की अनुमति मिल जाए.
कैप्टन देवी शरण ने यह बातें हाल ही में 31 जुलाई से 5 अगस्त तक चले विमानन सुरक्षा संस्कृति सप्ताह के दौरान कहीं. दरअसल, हाईजैक होने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के बारे में जैसे ही पाकिस्तान को पता चला. वहां के ATC विभाग ने पाकिस्तान में फ्लाइट ना लैंड कराने का संदेश जारी कर दिया था. चूंकि रात का समय था, इसलिए ATC ने रनवे और एयरपोर्ट की सभी लाइट्स बंद कर दीं, ताकी किसी भी सूरत में फ्लाइट लैंड न हो सके.
बिना को-पायलट की सहमति के लिया फैसला
पाकिस्तान की इस चालाकी के बाद भी हाईजैक की गई फ्लाइट पाकिस्तान में लैंड हुई थी. तब से अब तक माना जाता था कि फ्लाइट के पायलट कैप्टन देवी शरण, को-पायलट राजिंदर कुमार और फ्लाइट इंजीनियर एके जग्गिया तीनों की सहमति से विमान को पाकिस्तान के ऐतराज के बावजूद लाहौर एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया था. लेकिन अब नए खुलासे के बाद पता चला है कि यह फैसला कैप्टन ने बिना को-पायलट की सहमति के अकेले ही ले लिया था.

क्या अंधेरे में रनवे की पहचान नहीं हुई?
फ्लाइट इंजीनियर एके जग्गिया के मुताबिक,'पाकिस्तान के रनवे और एयरपोर्ट की लाइट्स बंद करने के बाद सभी परेशान हो गए. कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था. रनवे पर अंधेरा था और प्लेन का फ्यूल भी तेजी से कम हो रहा था. हवा में ही अंदाज लगाकर एक लंबी पट्टी की पहचान की गई. ऊपर से देखने पर वह बिल्कुल रनवे की तरह ही लग रही थी. लेकिन जैसे ही प्लेन पट्टी के नजदीक पहुंचा, पता चला कि यह तो एक नेशनल हाइवे है. समझ आते ही कैप्टन ने फ्लाइट को तुरंत फिर से ऊपर की तरफ उड़ा लिया.'
को-पायलट को क्यों नहीं बताया प्लान?
इस घटना को लेकर कैप्टन शरण ने बताया कि उन्होंने यह काम जानबूझकर किया था और सिर्फ वही जानते थे कि यह कोई गलती नहीं है. दरअसल, कैप्टन चाहते थे कि उनके को-पायलट को भी उनकी रणनीति के बारे में पता ना चले. इसका कारण यह था कि कॉकपिट में उनके ठीक पीछे दो आतंकी खड़े थे. अगर वह अपने प्लान के बारे में कुछ भी को-पायलट को बताते तो आतंकियों तक भी बात पहुंच सकती थी.
कैप्टन ने रचा क्रैश लैंडिंग का नाटक
कैप्टन शरण ने आगे कहा,'लाहौर ATC के लैंडिंग से इनकार करने पर मैंने विमान को दुर्घटनाग्रस्त करने का एक नाटक रचा, ताकि ATC पर दबाव डाला जा सके और वे लोग रनवे की लाइट्स ऑन कर दें, जिससे हम सुरक्षित लैंडिंग कर पाएं. इस नाटक को रचने के लिए मैंने क्रैश लैंडिंग जैसी परिस्थितियां बना दीं. इस काम में मुझे ट्रांसपोंडर नामक उपकरण से मदद मिली. दरअसल, इस उपकरण के जरिए ही ATC किसी प्लेन को ट्रैक कर पाता है. जब मैंने क्रैश लैंडिंग जैसी स्थिति बनाई तो इसे ATC ने ट्रांसपोंडर की मदद से भांप लिया.'

...और इस तरह कामयाब हुई योजना
कैप्टन ने बताया,'मुझे भरोसा था कि मेरा प्लान काम करेगा और ऐसा ही हुआ. ATC से तुरंत मुझे संदेशा मिला कि लैंडिंग के लिए रनवे खोल दिया गया है. इसके बाद हमने वहां सुरक्षित लैंडिंग की. इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने से पहले मैंने किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगने दी. को-पायलट को भी.
लाहौर के रास्ते कंधार पहुंची थी फ्लाइट
24 दिसंबर 1999 को शाम साढ़े चार बजे काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी-814 नई दिल्ली के लिए रवाना हुई. शाम के समय फ्लाइट के मिस हो जाने की खबर आई. पांच बजे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हुआ, अपहरणकर्ताओं ने फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाने की मांग रख दी थी. शाम 6 बजे विमान अमृतसर में थोड़ी देर के लिए रुककर लाहौर रवाना हो गया. लेकिन पाकिस्तान की सरकार से अनुमति लिए बिना ही विमान रात आठ बजकर सात मिनट पर लाहौर में लैंड हो गया. लाहौर से दुबई के रास्ते होते हुए इंडियन एयरलाइंस का ये अपहृत विमान अगले दिन सुबह के तकरीबन साढ़े आठ बजे अफगानिस्तान के कंधार में लैंड हुआ.
इन आतंकियों ने किया था प्लेन हाईजैक
इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 का अपहरण करने वाले आतंकियों की पहचान भारत सरकार ने कर ली थी. हैरानी की बात ये है कि सभी अपहरणकर्ता पाकिस्तानी थे. जिनकी पहचान इस प्रकार थी
1. इब्राहिम अतहर, बहावलपुर, पाकिस्तान
2. शाहिद अख्तर सईद, कराची, पाकिस्तान
3. सन्नी अहमद काजी, कराची, पाकिस्तान
4. मिस्त्री जहूर इब्राहिम, कराची, पाकिस्तान
5. शकीर, सुक्कुर, पाकिस्तान