अविश्वास प्रस्ताव का आज फाइनल राउंड है. लोकसभा में गुरुवार को भी जोरदार चर्चा जारी है. शाम 4 बजे प्रधानमंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे. इससे पहले बीजेपी के अन्य नेताओं ने एनडीए सरकार के कामकाज को गिनाया. इस कड़ी में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जमकर कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार के समय आजादी से आजतक 67 वर्षों में जो काम नहीं हुआ, हमने 9 साल में वो कर दिखाया है.
बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि जो ये दृश्य प्रजातंत्र के मंदिर में देख रहे हैं. इस देश का सद्भाव, देश की विचारधारा निर्मित की जाती है. जिस मंदिर से 140 करोड़ जनता अपनी प्रेरणा लेती है, उस प्रजातंत्र के मंदिर में ये स्पष्ट हो गया है कि इन लोगों को न देश की चिंता है, न राष्ट्रपति पद की चिंता है. इन लोगों को अपने हैसियत की चिंता है. मुझे 20 साल हो गए हैं, संसद में. ऐसा दृश्य मैंने 2 दशक में नहीं देखा. उन्होंने कहा, देश की जनता से माफी मांगे. ये ना सदन में बात सुनने को तैयार हैं और न जनता की बात सुनने को तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि जो सदन में नहीं कर पा रहे हैं, वो यहां सदन में बैठकर कर रहे हैं. ये जो अविश्वास प्रस्ताव इनके द्वारा लाया गया, ये मणिपुर की बात नहीं है. निश्चित मणिपुर की आड़ में ये अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए आज यहां उपस्थित हुए हैं.
देखिए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की पूरी कवरेज
कांग्रेस के भाषण के बीच में हंगामा करने पर सिंधिया ने कहा कि पिछले दो दिन से मैं सुन रहा हूं. अगर इनका ये बर्ताव रहा तो इनकी बात भी इस प्रजातंत्र के मंदिर में हम सुनने नहीं देंगे. ये वो बादल हैं जो गरजना चाहते हैं लेकिन बरसते नहीं. ये वो बादल हैं जो चर्चा में रहना चाहते हैं लेकिन चर्चा सुनना नहीं चाहते. हमारे देश के प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर मणिपुर पर संवेदनशीलता के साथ बयान दिया. लेकिन इनका हक है कि बयान सदन के अंदर दें. गृहमंत्री ने यहां बैठकर दिन-प्रतिदिन स्पष्ट किया कि जिस दिन जिस घंटे पर आप चर्चा चाहते हैं हम तैयार हैं. लेकिन 17 दिन इन्होंने सदन को चलने नहीं दिया.
मणिपुर को लेकर कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस पर वार करते हुए सिंधिया ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने पूछा कि मणिपुर के सांसद क्यों नहीं बोल रहे, उस वक्त जब आपकी सरकार (1993) केंद्र और राज्य में थी, मणिपुर के सांसद ने रोते-रोते संसद में कहा था कि राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती. उसके पास फंड नहीं है. उसके पास हथियार खरीदने के भी पैसे नहीं हैं. कृपया ये मान लीजिए कि मणिपुर भारत का ही हिस्सा है. 2011 में जब मणिपुर में 123 दिन जातीय हिंसा चली, तब उस समय में भी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने भी सदन में क्यों मौन धारण किया था? ये अगर दोगली राजनीति नहीं है तो क्या है?
विपक्ष के नेताओं के बीच में वॉकआउट पर सिंधिया ने कहा कि देश की जनता ने इनको बाहर का दरवाजा दिखा दिया है, अब सदन से भी बाहर जा रहे हैं. इन्हें तो अपने अविश्वास प्रस्ताव पर खुद ही विश्वास नहीं है. उन्होंने विपक्ष के गठबंधन पर भी निशाना साधा और सभी पार्टियों के पुराने राजनीतिक विवादों का जिक्र किया.
उन्होंने मणिपुर हिंसा पर कहा कि इस घटना का दुर्पुयोग करके ये लोग अपना लॉन्चपैड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ये घटना जो हुई वो बहुत घोर निंदनीय है. लेकिन भारत के इतिहास के काले पन्ने पलटें तो 1964 में बंगाल के दंगे के समय में ये मौन क्यों थे. 1984 के सिख दंगों में जब 4 हजार सिखों को जिंदा जलाया गया तो क्यों मौन थे. मेरठ के 1987 के दंगों के समय ये मौन क्यों थे और जो 1990 से 30 साल जो कश्मीर में 40 हजार लोगों की मौत हुई उस पर ये मौन क्यों थे?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बोलने से पहले यह सब देखना चाहिए. मुझे मुजफ्फर वारसी का शेर याद आता है, 'औरों के खयालात की लेते हैं तलाशी, अपने गिरेबान में झांका नहीं जाता.'
राहुल गांधी पर साधा निशाना
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी पर भी हमला किया. उन्होंने कहा कि राहुल ने कहा कि पीएम मोदी के लिए मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है. जबकि मोदी ने नॉर्थ ईस्ट को विश्व के साथ जोड़ा, जिनका नॉर्थ ईस्ट के साथ दिल का रिश्ता है. जिन्होंने नॉर्थ ईस्ट से दुश्मनों को खदेड़कर बाहर किया हो, जिस पीएम के रोम-रोम में भारत माता बसती हो उसके लिए ऐसी बात की गई. कहते हैं कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान लाएंगे इनकी दुकान, नफरत झूठा भ्रष्टाचार की दुकान है केवल नाम दुकान का बदलते हैं सम्मान वही है. अच्छा है कि आज इनको राम की याद आई है, कोई जनेऊधारी है कोई मंदिर के दर्शन कर रहे हैं यह मुखौटा नहीं चलेगा. दो बार आपको रिजेक्ट किया है तीसरी बार भी प्रचंड बहुमत से नरेंद्र मोदी के सरकार स्थापित होने जा रही है.
जब सिंधिया बोले- आपने ही मुझे चेंज कराया
कांग्रेस सांसदों ने सिंधिया के भाषण के बीच पलटवार करते हुए कहा कि दो साल में ही चेंज हो गए? इस पर सिंधिया ने कहा कि आपने ही चेंज कराया मुझे, कान खोलकर सुन लो, अब मेरा मुंह मत खुलवाना. दरअसल, सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे, विपक्ष के नेता इसको लेकर उन पर तंज कस रहे थे.
I.N.D.I.A. गठबंधन पर सिंधिया का वार
विपक्षी गठबंधन पर सिंधिया ने कहा कि ये लोग सिर्फ नाम बदलते हैं, सामान वही है. इनकी दुकान मोहब्बत की नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की है. सिंधिया बोले- ये कहते हैं कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान लाएंगे. इनकी खुद की दुकान भ्रष्टाचार, झूठ, तुष्टिकरण का दुकान है. केवल दुकान का नाम बदलता है. सामान वही है. सिंधिया ने कहा मुझे इसपर राहत इंदौरी का शेर याद आता है कि, 'नए किरदार आते जा रहे हैं. लेकिन नाटक पुराना चल रहा है.' सिंधिया ने आगे कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने माना कि I.N.D.I.A. मजबूरी का गठबंधन है.