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RTI में खुलासाः राज्यसभा सांसद की सैलरी और भत्ते नहीं ले रहे जस्टिस रंजन गोगोई

इंडिया टुडे द्वारा आरटीआई के जरिए यह जानने की कोशिश की गई कि राज्यसभा सदस्यों को वेतन का भुगतान करने के लिए सरकार को कितना खर्च करना पड़ता है, राज्यसभा ने इसका जवाब देते हुए खुलासा किया कि सदन अपने वर्तमान सदस्यों के वेतन और भत्ते पर हर महीने लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च करता है.

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भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (फाइल-पीटीआई)
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई (फाइल-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जस्टिस गोगोई ने पत्र लिख मना किया था
  • वेतन-भत्तों पर हर महीने कुल 3 करोड़ का खर्च
  • राज्यसभा के 506 पूर्व सांसद ले रहे पेंशन
  • 2 सवालों के जवाब नहीं दे सकी राज्यसभा

नवनियुक्त राज्यसभा सांसद जस्टिस रंजन गोगोई संसद के उच्च सदन के एकमात्र सदस्य हैं जो बतौर सदन के सदस्य के रूप में वेतन या भत्ता नहीं ले रहे हैं. इंडिया टुडे द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगे गए जवाब में राज्यसभा सचिवालय ने यह खुलासा किया.

मार्च 2020 में, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया था.

जब जस्टिस गोगोई से सीधे संपर्क किया गया तो उन्होंने राज्यसभा के महासचिव को लिखा पत्र 24 मार्च 2020 को भेज दिया. पत्र में उन्होंने औपचारिक रूप से उच्च सदन के वेतन और भत्तों का लाभ नहीं उठाने का कारण बताया था.

जस्टिस गोगोई ने कहा- CJI वाली पेंशन लेंगे
जस्टिस रंजन गोगोई ने लिखा, 'कृपया ध्यान दें, मैं वेतन और भत्ते (यात्रा भत्ते और आवास को छोड़कर) का लाभ नहीं उठा रहा हूं, जिसका मैं राज्यसभा के सदस्य के रूप में हकदार हूं. इसके बजाए, मैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के रूप में मुझे दिए जा रहे सेवानिवृत्ति की सुविधाओं का लाभ उठाने का विकल्प चुन रहा हूं.'

जस्टिस गोगोई ने इंडिया टुडे की ओर से भेजे गए एक संदेश के जवाब में उल्लेख किया कि उनकी बतौर मुख्य न्यायाधीश पेंशन राशि 82,301 रुपये प्रतिमाह है.
  
इंडिया टुडे द्वारा आरटीआई के तहत मांगे गए जवाब के जरिए यह भी जानने की कोशिश की गई कि राज्यसभा सदस्यों को वेतन का भुगतान करने के लिए सरकार को कितना खर्च करना पड़ता है, राज्यसभा ने इसका जवाब देते हुए खुलासा किया कि सदन अपने वर्तमान सदस्यों को वेतन और भत्ते पर हर महीने लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च करता है.

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राज्यसभा ने लिखा, 'इस शाखा में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, वेतन प्रचार भत्ते (संसदीय  भत्ता और कार्यालय व्यय भत्ता) का भुगतान जुलाई 2020 के महीने में राज्यसभा के 226 सदस्यों को 2,99,18,000 रुपये के रूप में किया गया था.

हालांकि, 30 अगस्त, 2020 तक उच्च सदन की वेबसाइट के अनुसार, राज्यसभा में 243 सांसद हैं जिसमें राज्यसभा की ओर से प्रस्तुत जुलाई के आंकड़ों के अनुसार 17 सांसद गायब हैं.

दो प्रोफेसर नहीं ले रहे सैलरी  
हमने यह भी जाना कि जब जस्टिस गोगोई अपना वेतन या भत्ते नहीं ले रहे हैं, तो उच्च सदन के दो अन्य सदस्य प्रोफेसर मनोज झा और प्रोफेसर राकेश सिन्हा भी वेतन नहीं ले रहे हैं. हालांकि बतौर सांसद मिलने वाले भत्ते ले रहे हैं.
  
इंडिया टुडे द्वारा संपर्क किए जाने पर, मनोज झा ने कहा, 'मैं अभी भी नियमित कक्षाएं ले रहा हूं और पीएचडी छात्रों की सुपरविजिंग कर रहा हूं, हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से वेतन ले रहा हूं राज्यसभा से नहीं.' प्रोफेसर मनोज झा और प्रोफेसर राकेश सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे हैं.
  
2 सवालों के जवाब नहीं दे सकी राज्यसभा
इंडिया टुडे की ओर से उच्च सदन द्वारा दी जा रही कुल पेंशनों के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में उत्तर दिया गया, 'इस शाखा में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, 20 अगस्त 2020 को, राज्यसभा के 506 पूर्व सांसदों के लिए सचिवालय द्वारा संसदीय पेंशन स्वीकृत की गई है. इन सांसदों की एक सूची भी प्रदान की गई है.'
   
साथ ही इंडिया टुडे के दो अन्य सवाल थे, जिनके लिए राज्यसभा आंकड़े उपलब्ध नहीं करा सकी. हमने पूछा था कि कितने जीवित पूर्व राज्यसभा सांसद पेंशन ले रहे हैं या नहीं ले रहे हैं. साथ ही पेंशन पाने वाले सबसे पुराने राज्यसभा सांसद कौन हैं.

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संसद के ऊपरी सदन ने उक्त सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राज्यसभा उन सांसदों की किसी तरह की कोई सूची बनाकर नहीं रखती है जो जीवित हैं, लेकिन पेंशन नहीं ले रहे हैं या वे सांसद जो सबसे लंबे समय से पेंशन ले रहे हैं.

 

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