दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जले हुए कैश की बरामदगी के एक महीने बाद, यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. देश के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने इस मामले में गहन जांच की मांग की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन-जजों की समिति से इस मामले में तेजी से काम करने की अपील की, जो भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है. उन्होंने मामले में एफआईआर नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाए.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सवाल उठाया कि जब उनके जैसे संवैधानिक पदाधिकारी भी एफआईआर से मुक्त नहीं हैं, तो जज के खिलाफ इतनी लंबी संवैधानिक प्रक्रिया क्यों अपनाई जा रही है? उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, हर संज्ञेय अपराध को पुलिस के पास दर्ज करना जरूरी है, और ऐसा न करना एक अपराध है. फिर भी, इस मामले में किसी भी तरह की एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जो गंभीर चिंता की बात है.
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'बिना एफआईआर के जांच नहीं हो सकती'
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि बिना एफआईआर के, कानूनी दायरे में जांच नहीं की जा सकती. उन्होंने कोर्ट की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए कहा कि जजों की कैटगरी के मामले में सीधी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. इसको संबंधित न्यायिक अधिकारियों द्वारा अप्रूवल की जरूरत होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आंतरिक जांच का आदेश
जस्टिस वर्मा के स्टोर रूम से एक महीने पहले जले हुए कैश बरामद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक आंतरिक जांच और तीन-सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था. उपराष्ट्रपति ने कहा, "सिर्फ कानून के शासन को सक्रिय करना ही जरूरी है. अनुमति की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर यह जज का मामला है, तो उनके लिए स्पेशल प्रोसेस की जरूरत होती है."
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'मामले का खुलासा एक सप्ताह बाद क्यों हुआ?'
Cash At Home मामले का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बताया कि 14 और 15 मार्च की मध्य रात्रि को जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगने की घटना सामने आई थी. हालांकि, धनखड़ ने देरी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि घटना एक सप्ताह बाद क्यों सामने आई?