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'ट्रेन संचालन गंभीर जिम्मेदारी...', रेलवे ने लोको पायलटों की 'शौचालय ब्रेक' की मांग खारिज की

कुछ समय पहले लोको पायलट्स के एक समूह ने ट्रेन यात्रा के बीच में आधे घंटे के विश्राम की अनुमति मांगी थी, ताकि वे स्वाभाविक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. इस मांग के बाद रेलवे ने एक समिति गठित की थी, जिसने विचार-विमर्श के बाद इस मांग को अस्वीकार कर दिया.

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लोको पायलट की मांग खारिज हो गई है (फाइल फोटो)
लोको पायलट की मांग खारिज हो गई है (फाइल फोटो)

भारतीय रेल ने लोको पायलट्स द्वारा ड्यूटी के दौरान शौचालय ब्रेक के लिए की गई आधे घंटे की छुट्टी की मांग को खारिज कर दिया है. दरअसल, कुछ समय पहले लोको पायलट्स के एक समूह ने ट्रेन यात्रा के बीच में आधे घंटे के विश्राम की अनुमति मांगी थी, ताकि वे स्वाभाविक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें. इस मांग के बाद रेलवे ने एक समिति गठित की थी, जिसने विचार-विमर्श के बाद इस मांग को अस्वीकार कर दिया.

रेलवे सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक ट्रेन यात्रा से पहले और बाद में लोको पायलट्स को आधे घंटे का समय दिया जाता है. यात्रा के दौरान उन्हें खाने-पीने की अनुमति होती है और ट्रेन में हमेशा दो लोको पायलट्स होते हैं, इसलिए यदि किसी एक को तत्काल आवश्यकता हो, तो वह शौचालय जा सकता है जबकि दूसरा ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी संभालता है.”

सूत्रों ने आगे बताया कि जब ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकती है, उस समय भी लोको पायलट्स शौचालय जा सकते हैं. इसके अलावा, पिछले 10 वर्षों में सभी लोकोमोटिव इंजनों में इनबिल्ट टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे इस समस्या का समाधान काफी हद तक हो चुका है. रेलवे का कहना है कि सुरक्षा और समयबद्धता की दृष्टि से ट्रेन यात्रा के दौरान ब्रेक देना व्यावहारिक नहीं है. ट्रेन संचालन एक गंभीर जिम्मेदारी है और हर पहलू पर विचार करके ही यह निर्णय लिया गया है.

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