दुश्मन बन बैठे अपने पड़ोसी को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सरकार, भारत-चीन सीमा पर रणनीति के तहत अपने एसेट्स को मजबूत कर रही है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने चंडीगढ़ में विश्व की सबसे बड़ी 3डी प्रिंटिंग निर्माण सुविधा हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट के निर्माण स्थल का दौरा किया और कहा कि, निर्माण की गति स्पष्ट रूप से बताती है कि भारत अगले चार-पांच साल में चीन से आगे निकल जाएगा.
बीते तीन सालों में चीन सीमा पर बड़े पैमाने पर हुए निर्माण
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा, "पिछले तीन वर्षों के दौरान हमारी चीन सीमा पर बड़े पैमाने पर निर्माण हुए हैं. बीआरओ और अन्य एजेंसियां रणनीतिक संपत्तियों को मजबूत करने में व्यस्त हैं. बीआरओ ने 295 सड़कों, पुलों, सुरंगों और हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया है." बीआरओ महानिदेशक ने कहा कि बीआरओ का वार्षिक बजट कांग्रेस सरकार के समय की तुलना में तीन गुना बढ़ा दिया गया है.
BRO ने किया 8000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का निर्माण
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार को डर था कि चीनी सीमा के पास अधिक सड़कें बनाने से सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि पड़ोसी हमारे खिलाफ इसका दुरुपयोग कर सकता है. उन्होंने कहा, "बीआरओ ने पिछले तीन वर्षों के दौरान 8000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का निर्माण किया है. 60 परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं. निर्माण कार्य की गति बढ़ गई है."
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि बीआरओ की प्राथमिक चिंता परिचालन लागत को कम करने के अलावा सीमा पर लोगों और सामग्री को तेजी से जुटाना है.
दस सुरंगे पूरी, आठ पाइपलाइन में
बीआरओ महानिदेशक ने कहा, "परिचालन लागत को कम करने के लिए हम सड़कों और पुलों को बनाने के लिए स्टील स्लैग, फ्लाई ऐश और प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर रहे हैं. सुरंग खोदने से न केवल संवेदनशील सीमा क्षेत्रों तक पहुंचने में यात्रा का समय कम हो गया है, बल्कि हैप्पी इंडेक्स में भी सुधार हुआ है." उन्होंने कहा कि दस सुरंगें पूरी होने वाली हैं और आठ पाइपलाइन में हैं. जीआईएस तकनीक सीमा की सड़कों को तेजी से खोलने में मदद करती है.
68 दिनों में खोला गया जोजिला दर्रा
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि बीआरओ रिकॉर्ड समय में सड़कें खोलने के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का उपयोग कर रहा है. "सीमावर्ती क्षेत्र छह महीने तक कटे रहते थे. सबसे ऊंचा दर्रा जोजिला दर्रा इस साल 68 दिनों में खोला गया. सड़कों को साफ करने के लिए जीआईएस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. ढलान संरक्षण के लिए जियोसेल का उपयोग किया जा रहा है. काम में तेजी से 350 से 400 करोड़ रुपये के बीच राजस्व की बचत हो रही है.
सड़कें बनाने के लिए 100 साल पुराने आंकड़ों का अध्ययन
राजीव चौधरी ने कहा कि बीआरओ ने 60,000 किमी से अधिक सड़कें बनाई हैं, जिनमें से 2400 किमी का रखरखाव बुलडोजर पर स्थापित जीआईएस की मदद से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीआरओ 100 साल पुराने आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद सावधानीपूर्वक सड़कें बनाता है. नदियों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के पास निर्माण से परहेज किया जाता है.
सबसे ऊंची 3डी निर्माण परियोजना बनेगी
उन्होंने कहा, "चंडीगढ़ और मनाली को जोड़ने वाली सड़क नदी और नालों के करीब बनाई गई है जो हाल ही में क्षतिग्रस्त हो गए थे. बीआरओ अपनी सड़कें नदियों से दूर बनाता है. यही कारण है कि बीआरओ की सड़कें सबसे कम क्षतिग्रस्त हुईं." बीआरओ लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची 3डी निर्माण परियोजना का निर्माण करेगा. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने रविवार को चंडीगढ़ में हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट नामक विश्व की सबसे बड़ी 3डी प्रिंटिंग निर्माण सुविधा का दौरा किया.
निर्माण कार्य में आती है तेजी
उन्होंने कहा कि 3डी प्रिंटिंग निर्माण ने बड़ी निर्माण परियोजनाओं को एक साल से भी कम समय में पूरा करना संभव बना दिया है. "3डी प्रिंटिंग के निर्माण की लागत पारंपरिक विधि की तुलना में पांच से सात प्रतिशत अधिक है, लेकिन इससे निर्माण का समय एक तिहाई कम हो गया है. चंडीगढ़ में हिमांक एयर डिस्पैच यूनिट नौ महीने के भीतर पूरी हो गई, जबकि पारंपरिक विधि में आमतौर पर 18 से 24 महीने लगते थे.," बीआरओ महानिदेशक ने कहा कि चंडीगढ़ 3डी परियोजना को पूरा करने के बाद, एजेंसी लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची 3डी निर्माण परियोजना का निर्माण करेगी. इसमें एक बीआरओ संग्रहालय होगा जो बीआरओ की उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा.