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जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जांच रिपोर्ट को दी चुनौती, महाभियोग से पहले दाखिल की याचिका

जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई  सिफारिश रद्द करने की मांग की है जिसमें उनको पद से हटाने के लिए संवैधानिक कार्रवाई की कार्यवाही शुरू करने की बात कही गई है.

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जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है
जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है

सरकारी आवास पर लगी आग के दौरान अकूत मात्रा में जले हुए नोट मिलने के मामले में आरोपी हाईकोर्ट जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वर्मा ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस द्वारा नियुक्त आंतरिक जांच पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी है. वर्मा ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार देने की गुहार लगाई है.

जस्टिस वर्मा को हटाने की कवायद जारी
वर्मा ने अपनी याचिका में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई सिफारिश रद्द करने की मांग की है जिसमें उनको पद से हटाने के लिए संवैधानिक कार्रवाई की कार्यवाही शुरू करने की बात कही गई है.

गौरतलब है जस्टिस वर्मा ने यह याचिका संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले दाखिल की है, क्योंकि इसी सत्र में उनके खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद जारी है.

अर्जी के अहम बिंदु
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस यशवंत वर्मा की अर्जी XXX बनाम भारत सरकार के नाम से दाखिल हुई है. उसमें उन्होंने दिनांक 03 मई 2025 की इन-हाउस समिति की अंतिम रिपोर्ट तथा उसके आधार पर की गई सभी कार्यवाहियों को रद्द करने की प्रार्थना की है।इस रिपोर्ट को।आधार बनाकर उन्होंने कई अन्य बातों पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है.

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1. इन-हाउस प्रक्रिया की शुरुआत अनुचित और अमान्य थी, क्योंकि यह याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी औपचारिक शिकायत के अभाव में शुरू की गई थी. यह कार्यवाही केवल 21.03.2025 को उठाए गए अनुमानात्मक प्रश्नों से शुरू हुई थी, जो इस बिना प्रमाण के आरोप पर आधारित थी कि याचिकाकर्ता के पास नकद (जिसकी मात्रा नहीं बताई गई) था और उसके पाए जाने के बाद उसने इसके अवशेष हटवा दिए. इन-हाउस प्रक्रिया इस प्रकार की परिस्थितियों के लिए बनाई ही नहीं गई है, और न ही वह ऐसी स्थितियों में लागू की जा सकती है.

क्या है मामला?
बता दें कि, दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में होली की रात 14 मार्च को आग लग गई थी. उस वक्त वे और उनकी पत्नी भोपाल में थे. घर पर उनकी बेटी और बुजुर्ग मां मौजूद थीं. आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन कर्मियों ने एक स्टोर रूम में नकदी से भरे बोरों में आग लगी हुई देखी. इसके बाद घटनास्थल से दो वीडियो सामने आने पर मामले ने तूल पकड़ा.

 

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