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ग्रेटर नोएडा के GIMS अस्पताल में खुलेगा स्लीप लैब, नींद संबंधित बीमारियों का करवा सकेंगे इलाज

ग्रेटर नोएडा स्थित GIMS अस्पताल जल्द ही स्लीप लैब शुरू करने वाला है, जहां आप नींद से संबंधित बीमारियों का इलाज करवा सकते हैं. यह स्लीप लैब अगले महीने यानी अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में शुरू हो सकता है. यहां नींद से जुड़ी हर बीमारियों का इलाज कारगर तरीके से होगा. GIMS प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि स्लीप लैब हर शुक्रवार सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक संचालित होगा.

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sleeping disorder
sleeping disorder

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्लीपिंग डिसऑर्डर (Sleeping Disorder) सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है. नींद में खर्राटे लेना या नींद में चलने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं. अन्य शारीरिक बीमारियों की तरह इनका इलाज कभी उतना आसान नहीं रहा. लेकिन अब नींद संबंधित बीमारियों का इलाज आसानी से कराया जा सकता है. इसके लिए ग्रेटर नोएडा स्थित GIMS अस्पताल जल्द ही स्लीप लैब शुरू करने वाला है, जहां आप नींद से संबंधित बीमारियों का इलाज करवा सकते हैं.

यह स्लीप लैब अगले महीने यानी अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में शुरू हो सकता है. यहां नींद से जुड़ी हर बीमारियों का इलाज कारगर तरीके से होगा. GIMS प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि स्लीप लैब हर शुक्रवार सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक संचालित होगा.

दरअसल स्लीप लैब को लेकर GIMS अस्पताल की पल्मोनरी मेडिसिन विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली है. विभाग की प्रमुख डॉक्टर रश्मि उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि नींद में खर्राटे लेना आम बात है, इसकी शुरुआत मोटापे से होता है, जिससे कई और समस्याएं भी हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, हम स्लीप लैब में ऐसे कई तरह की नींद सबंंधित बीमारियों का इलाज करेंगे, जिनसे आजकल ज्यादातर लोग दो चार हो रहे हैं. इनमें स्लीप एपनिया, नींद न आना, नींद में चलना, नींद में बोलना शािल हैं. इन बीमारियों को हम गंभीरता से नहीं लेते हैं लेकिन यही बीमारियां आगे चलकर बहुत दिक्कत देनी शुरू कर देती हैं. हम स्लीप लैब में ऐसे ही बीमारियों का मूल्यांकन करेंगे.

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इलाज के दौरान स्लीप लैब में मरीजों से नींद से जुड़े कुछ सवाल किए जाएंगे. साथ ही बीपी से लेकर थायरॉइड की भी जांच की जाएगी, साथ ही लैब की मशीनो से मरीज के नींद का आकलन करेंगे. स्लीप लैब में नींद के आकलन के दौरान 90 मिनट का चक्र देखा जाएगा, जिसमे मशीनों के जरिए यह समझा जाएगा कि नींद में आखिर दिक्कत क्या है. उसी के अनुरूप डॉक्टर इलाज कर पाएंगे.

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