भारतीय वायु सेना ने इंडिया टुडे के उस रिपोर्ट की पुष्टि की है, जिसमें खुलासा किया गया था कि म्यांमार में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना का विमान जीपीएस स्पूफिंग का शिकार हुआ था. IAF ने साफ किया कि उनके सभी मिशन सुरक्षित रूप से पूरे हो गए थे और इसके लिए सभी जरूरी एहतियात बरती गईं.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में, IAF ने बताया, "मंडालय अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने NOTAM के रूप में GPS में खराबी की संभावना पता चली थी और ऐसे हालात से निपटने के लिए सभी जरूरी उपाय किए गए थे. IAF के कर्मचारी ऐसी हालातों से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उड़ान की सुरक्षा और मिशन की मौजूदगी में कोई चूक न हो."
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वायु सेना के विमान पर हुआ था जीपीएस स्पूफिंग
इंडिया टुडे के साथ पहले बातचीत में रक्षा सूत्रों ने बताया था कि स्पूफिंग की वजह से रियम-टाइम कोआर्डिनेशन में दिक्कत आई थी, विमान को नेविगेशन की समस्या का सामना करना पड़ा था और ये सब तब हुआ था जब विमान हवा में थे. इसका पता चलने के तुरंत बाद सुरक्षित नेविगेशन के लिए, वायु सेना के पायलट ने विमान को इंटरनल नेविगेशन सिस्टम पर शिफ्ट कर दिया था.
IAF के बयान में किसी विशेष GPS स्पूफिंग घटना की पुष्टि नहीं की गई थी, लेकिन यह बताया गया कि मंडालय हवाई अड्डे के पास सिग्नल के संभावित नुकसान के बारे में पहले पता चला गया था और एयरक्रू इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे.
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जीपीएस स्पूफिंग क्या है ?
जीपीएस स्पूफिंग एक तरह का साइबरअटैक होता है, जिसमें विमान के सिस्टम को कन्फ्यूज करने के लिए फेक सिग्नल भेजे जाते हैं. कई बार इससे बड़ा विमान हादसा हो जाता है. इसी तरह की स्पूफिंग की घटना भारत-पाकिस्तान सीमा पर अक्सर सामने आता है, जहां नवंबर 2023 से अमृतसर और जम्मू में ऐसी 465 घटनाएं दर्ज की गईं. भारतीय वायु सेना का विमान म्यांमार में भयंकर भूकंप के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पर थी.