भारत की अखंडता को चुनौती देने वाले वाले संगठन NSCN-K पर केंद्र सरकार ने सख्ती दिखाई है. केंद्र ने संगठन पर प्रतिबंधों को पांच और सालों तक के लिए बढ़ा दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया कि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग और उसके सभी गुटों पर लगे प्रतिबंधों को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है और यह 28 सितंबर से प्रभावी होगा.
केंद्र सरकार का कहना है कि NSCN-K का मकसद है कि स्वतंत्र नागालैंड बनाया जाए, जिसमें भारत-म्यांमार के क्षेत्र शामिल हों. यह संगठन भारत से अलग होकर ऐसा करना चाहता है.
केंद्र ने आगे बताया कि NSCN-K अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी गतिविधियों में उल्फा(आई), प्रीपाक और पीएलए जैसे अन्य गैर-कानूनी संगठनों के साथ भी गठजोड़ किया है.
बता दें कि NSCN-K नागालैंड का प्रमुथ उग्रवादी संगठन है. जिसकी स्थापना 30 अप्रैल 1988 में एस.एस. खापलांग के नेतृत्व में हुई. NSCN के विभाजन की वजह से NSCN-K की स्थापना हुई थी. खापलांग की 2017 में मौत हो गई थी और उसका सपना अधूरा रह गया.
NSCN-K का नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश (तिराप और चांगलांग जिला), और म्यांमार के बीच नागाओं में संगठन का मुख्य आधार है.
संगठन का एक ही उद्देश्य है कि सभी नागा बहुल क्षेत्रों को मिलाकर एक 'ग्रेटर नागालैंड' बनाए. इस संगठन के पास अपनी एक सैन्य संगठन यानि नागा आर्मी भी है.
NSCN-K कई बार सेना पर हमला, फिरौती, अवैध हथियार और गठजोड़ में संलिप्त पाया गया है, जिसकी वजह से संगठन को आतंकि संगठन घोषित करके बैन कर दिया गया है.
साल 2015 के बाद से बैन पर हर पांच साल में रिव्यू होता है. इस साल सितंबर के महीने में एक फिर से रिव्यू किया गया और प्रतिबंधों को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया.