सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल हो रहे 'डार्क पैटर्न्स' को हटाने के लिए सख्त रुख अपनाया है. उपभोक्ता मंत्रालय की ओर से बताया गया कि 50 से ज्यादा डिजिटल कंपनियों के साथ एक बैठक की गई, जिसमें सरकार ने साफ कहा कि सभी कंपनियां अपनी वेबसाइट्स से डार्क पैटर्न्स हटाएं और खुद का ऑडिट भी कराएं.
डार्क पैटर्न्स क्या हैं?
डार्क पैटर्न्स वो डिज़ाइन ट्रिक्स होती हैं जो यूजर्स को बिना उनकी स्पष्ट सहमति के कोई कार्य करने को मजबूर करती हैं. जैसे सब्सक्रिप्शन ट्रैप, एडवांस टिप, प्राइवेसी सेटिंग छुपाना या उत्पादों की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ाना (ड्रिप प्राइसिंग).
अब तक सरकार द्वारा 13 प्रकार के डार्क पैटर्न्स की पहचान की गई है, जिनमें से प्रमुख हैं:
-फोर्स्ड एक्शन (Forced Action) – 123 प्लेटफॉर्म्स यानी 54% में पाया गया
-ड्रिप प्राइसिंग (Drip Pricing) – 109 प्लेटफॉर्म्स (48%)
-बैट एंड स्विच (Bait and Switch) – 76 प्लेटफॉर्म्स (33%)
-सब्सक्रिप्शन ट्रैप (Subscription Trap) – 74 प्लेटफॉर्म्स (34%)
किन क्षेत्रों में पाए गए डार्क पैटर्न्स?
इन डार्क पैटर्न्स की सबसे ज्यादा शिकायतें निम्न सेक्टरों से मिली हैं:
-एडटेक (Edtech)
-ट्रैवल और एयरलाइंस
-ई-कॉमर्स
-क्विक कॉमर्स
-ऑनलाइन बैंकिंग और पेमेंट्स
-टैक्सी एग्रीगेटर ऐप्स
-ओटीटी प्लेटफॉर्म्स
सरकार की कार्रवाई
बैठक के बाद मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अब सभी डिजिटल कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद डार्क पैटर्न्स हटाने होंगे. उपभोक्ता मंत्री ने कहा, “हम जल्द ही जॉइंट वर्किंग ग्रुप बनाएंगे जो इन मामलों की निगरानी करेगा. यह उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम है.”
कैब एग्रीगेटर पर खास कार्रवाई
हाल ही में उपभोक्ताओं से यह शिकायतें मिलीं कि कैब बुक करते समय एडवांस टिप अनिवार्य रूप से ली जा रही है. इसपर चार कैब एग्रीगेटर कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने कहा, “हमने एडवांस टिप के मामले पर नोटिस जारी कर दिया है. उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है. अगर वे नहीं हटाते, तो आगे कानूनी कार्रवाई होगी.”
बैठक में शामिल अधिकांश कंपनियों ने सरकार को भरोसा दिलाया कि वे उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि रखते हुए जल्द से जल्द डार्क पैटर्न्स हटाने के लिए तैयार हैं.