गलवान घाटी में चीन के साथ संघर्ष के नायक रहे शहीद कर्नल संतोष बाबू के पिता बेटे को महावीर चक्र मिलने से संतुष्ट नहीं हैं. कर्नल संतोष बाबू के पिता ने आजतक के साथ बातचीत में कहा कि उनके बेटे ने जो बहादुरी और दिलेरी दिखाई है उस हिसाब से वह परमवीर चक्र के हकदार हैं.
पिछले साल 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू अपनी टीम के साथ चीनी सैनिकों से भिड़ गए थे. आमने-सामने की इस लड़ाई में भारत के 20 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था. चीन के भी दर्जनों सैनिक इस लड़ाई में मारे गए थे, मगर चीन अपने सैनिकों की मौत को कभी स्वीकार नहीं किया था.
कर्नल बाबू की वीरता को सम्मानित करते हुए भारत सरकार ने कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से पुरस्कृत किया है. बता दें कि परमवीर चक्र के बाद महावीर चक्र ही सेना में सबसे बड़ा वीरता सम्मान है.
कर्नल संतोष बाबू के पिता बिक्कुमला उपेंद्र ने कहा कि कर्नल संतोष बाबू और उनकी टीम ने अपनी वीरता से चीनी सेना की बहादुरी के झूठे दावों का पर्दाफाश कर दिया. उन्होंने कहा कि इससे पहले लोग मानते थे कि चीन की सेना हमसे ज्यादा ताकतवर है, लेकिन 15 जून की घटना ने इस थ्योरी को ध्वस्त कर दिया.
उन्होंने कहा कि चीन की सेना भारत की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकी. इस युद्ध में पीएलए को भी काफी नुकसान हुआ. बिक्कुमला उपेंद्र ने कहा कि लद्दाख ऐसा क्षेत्र है जहां पहला दुश्मन वहां की जलवायु है. इस जलवाय में रहकर काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
बिक्कुमला उपेंद्र के अनुसार खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कई मौकों पर कहा था कि 15 जून की मुठभेड़ की वजह से चीन हमारी एक जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सका, कर्नल बाबू और उसकी टीम ने ऐसा होने नहीं दिया. उन्होंने अपनी मातृभूमि की हर इंच जमीन की रक्षा की.
उन्होंने कहा कि कर्नल संतोष बाबू को पुरस्कृत करने इन पक्षों पर भी विचार करना चाहिए था कि उन्हें परमवीर चक्र क्यों नहीं दिया गया.