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रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में एक और संदिग्ध डिटेन, पुलवामा से इलेक्ट्रीशियन तुफैल सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ा

दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों ने एक और संदिग्ध को हिरासत में लिया है. जम्मू-कश्मीर की SIA और SOG ने पुलवामा के रहने वाले इलेक्ट्रिशियन तुफैल अहमद को एक इंडस्ट्रियल एरिया से उठाया है.

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रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में पुलवामा के तुफैल अहमद हिरासत में (Photo: PTI)
रेड फोर्ट ब्लास्ट केस में पुलवामा के तुफैल अहमद हिरासत में (Photo: PTI)

Electrician detained in Delhi blast case: दिल्ली के रेड फोर्ट धमाके की जांच में एक और अहम कार्रवाई की गई है. जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने पुलवामा के रहने वाले तुफैल अहमद को पकड़ा है. तुफैल एक इलेक्ट्रिशियन है, जो वहां के एक इंडस्ट्रियल एस्टेट में काम करता था. पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.

जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पूछताछ करने पर कुछ ऐसे सुराग मिले हैं, जिनसे लगता है कि तुफैल का रोल इस मॉड्यूल में पहले समझे से ज़्यादा बड़ा हो सकता है. एजेंसियां इस बात को गहराई से खंगाल रही हैं कि तुफैल किन लोगों के संपर्क में था, उसकी एक्टिविटीज क्या थीं और दिल्ली ब्लास्ट की साजिश में उसका कितना योगदान हो सकता है.

SIA और SOG की टीमें पहले से ही जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस इंटरस्टेट नेटवर्क के बारे में जांच कर रही थीं, और तुफैल को पकड़ना इसी कार्रवाई का हिस्सा है. टीमें इस पूरे नेटवर्क को समझने में लगी हैं, ताकि साजिश में शामिल हर व्यक्ति तक पहुंचा जा सके.

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क्या पता चला, जांच कैसे आगे बढ़ रही है

अब पुलिस और जांच एजेंसियां तुफैल के खिलाफ सारे सबूत जोड़ रही हैं. उनका मकसद है कि दिल्ली ब्लास्ट की साजिश से जुड़ा हर छोटा-बड़ा किरदार सामने आए. आने वाले दिनों में पुलिस उसके कॉन्टैक्ट्स, फोन रिकॉर्ड्स और गतिविधियों की और गहराई से जांच करेगी. इससे धमाके की सच्चाई और उसमें शामिल नेटवर्क की परतें खुलेंगी.

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अल-फलाह यूनिवर्सिटी दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच का केंद्र बनी हुई है (Photo: PTI)

आत्मघाती हमलावर उमर नबी एक डॉक्टरी पढ़ाई करने वाला छात्र था, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट टीचर था. इसके साथी डॉ. मुजफ्फर और अन्य मेडिकल स्टाफ को भी संदिग्ध मानकर गिरफ्तार किया गया है. विस्फोटक सामग्री और हथियार भी बरामद हुए हैं. यह पूरा मामला जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह से जुड़ा हुआ माना जा रहा है.

कब हुआ था हमला?

10 नवंबर को दिल्ली के रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास एक ज़ोरदार धमाका हुआ था, जिसमें कम से कम 14 लोग मारे गए थे, जिनमें आत्मघाती हमलावर डॉक्टर उमर उन नबी भी शामिल था. धमाका एक सफेद हुंडई i20 कार में हुआ था, जिसे आत्मघाती हमलावर उमर ने चलाया था. उमर फरिदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था.

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10 नवंबर की शाम दिल्ली में लाल किले के पास खड़ी एक कार में धमाका हुआ (Photo: PTI)

जांच एजेंसियां यह पता लगाने में लगी हैं कि यह धमाका एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसमें कई जगहों पर हमला करने की योजना थी. आरोपियों ने इस पूरी योजना के लिए खुद पैसे जुटाए थे. इस सतर्कता भरे मामले में पुलिस ने विस्‍तृत जांच शुरू कर रखी है और संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए तेजी से काम कर रही है.

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इस पूरे मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्री गंभीर हैं और उन्होंने कहा है कि जो भी इस हादसे के पीछे है, उसे बख्शा नहीं जाएगा.

दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई - लोकेशन-बेस्ड हथियार तस्करी का किया खुलासा

धमाके के बाद दिल्ली हाई अलर्ट मोड में है. सुरक्षा एजेंसियां लगातार आतंक के नेटवर्क का पर्दाफाश कर रही है. इसी क्रम में दिल्ली में क्राइम ब्रांच ने एक बड़े हथियार तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. डीसीपी क्राइम संजीव यादव के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए गिराई जा रही हथियारों की खेप उत्तर भारत के कुछ बड़े गैंगस्टरों तक पहुंच रही है. इस सूचना पर विशेष टीम ने कार्रवाई शुरू की.

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पुलिस ने मनमीत और दलविंदर नाम के दो संदिग्धों को पकड़ा. इनके पास से कुल 8 हथियार बरामद हुए. जिनमें 3 तुर्की में बने और 5 चीन निर्मित हथियार शामिल हैं. जांच में पता चला कि ये हथियार बागपत के दो गैंगस्टरों को सप्लाई किए जाने थे. पुलिस ने उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया.

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सबसे हैरानी की बात यह है कि यह पूरा नेटवर्क ‘लोकेशन-बेस्ड डिलीवरी’ मॉडल पर काम करता था. गिरोह के सदस्य एक-दूसरे से सीधे संपर्क में नहीं रहते थे. विदेश में बैठे तीन ऑपरेटर लोकेशन भेज कर हथियार गिराने और उठाने की पूरी प्रक्रिया नियंत्रित करते थे. पुलिस मामले की कड़ियों को जोड़कर पूरे मॉड्यूल की जांच आगे बढ़ा रही है. 

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