दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दो मुख्य सचिवों के जाली हस्ताक्षर करने के मामले में आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. 2007 बैच के आईएएस अधिकारी (एजीएमयूटी कैडर) उदित प्रकाश राय अगस्त 2020 से अक्टूबर 2021 तक दिल्ली के निदेशक (शिक्षा) थे.
उदित प्रकाश राय पर अपनी पोस्टिंग की विभिन्न अवधियों के दौरान अपनी अप्रेजल परफॉर्मेंस एनुअल रिपोर्ट्स (APAR- Annual Performance Appraisal Reports) पर दिल्ली और अंडमान और निकोबार प्रशासन के मुख्य सचिवों के कथित रूप से जाली हस्ताक्षर करने का आरोप है. राय पर 2017 से 2021 के बीच अपनी अप्रेजल परफॉर्मेंस एनुअल रिपोर्ट्स (एपीएआर) में दो मुख्य सचिवों के जाली हस्ताक्षर करने का आरोप है.
उपराज्यपाल ने आगे की कार्रवाई के लिए मामला गृह मंत्रालय को भेजने की सिफारिश की है. आईपी एस्टेट पुलिस स्टेशन में राय के खिलाफ आईपीसी की धारा 465/471 के तहत जालसाजी का आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.
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कौन हैं उदित राय
राय वर्तमान में भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में निलंबित हैं, जिसमें उन पर दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए एक इंजीनियर से रिश्वत लेने का भी आरोप है. राय जब दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के रूप में कार्यरत थे, तब उन पर दिल्ली के जल विहार में अपने 5 करोड़ रुपये के आधिकारिक आवास के निर्माण के लिए एक हेरीटेज स्ट्रक्चर को ध्वस्त करने का भी आरोप लगा था
कई बार किए फर्जी साइन
सतर्कता निदेशालय के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के बीच, राय ने अंडमान एवं निकोबार प्रशासन में और समीक्षा प्राधिकारी, अंडमान एवं निकोबार के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिंदो मजूमदार के के भी फर्जी हस्ताक्षर किए थे. अप्रैल 2019 से जुलाई 2019 तक, जब वे जिला मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे, राय ने रिपोर्टिंग प्राधिकरण, अंडमान में तत्कालीन प्रधान सचिव (राजस्व) विक्रम देव दत्त और समीक्षा प्राधिकरण, तत्कालीन मुख्य सचिव चेतन भूषण सांघी के जाली हस्ताक्षर जाली बनाए.
बाद में, उन्हें शिक्षा विभाग के निदेशक के रूप में दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया. दिल्ली में तैनाती के दौरान अगस्त 2020 से मार्च 2021 के बीच राय ने अपने रिपोर्टिंग अथॉरिटी एच राजेश प्रसाद, तत्कालीन शिक्षा प्रमुख सचिव और दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय कुमार देव के जाली हस्ताक्षर किए.
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जांच में पता चला कि उदित राय ने जानबूझकर अपनी अप्रेजल परफॉर्मेंस एनुअल रिपोर्ट्स को इसके पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन नहीं बल्कि मैन्युअल रूप से भरा था. हालांकि, शीर्ष अधिकारियों, अनिंदो मजूमदार और विजय कुमार देव ने राय की रिपोर्टों की समीक्षा करने से इनकार कर दिया और पुष्टि की कि हस्ताक्षर जाली थे. एक फोरेंसिक रिपोर्ट ने भी पुष्टि की कि हस्ताक्षर अधिकारियों के हस्ताक्षरों से मेल नहीं खाते थे.