ऑपरेशन सिंदूर के करीब दो महीने बाद डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने शुक्रवार को ₹1.05 लाख करोड़ के मिलिट्री हार्डवेयर खरीदने के 10 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी ने तीनों सेनाओं के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम और सर्फेस-टू-एयर मिसाइलों की खरीद के लिए जरूरी अप्रूवल दे दिया.
पाकिस्तान के साथ मई के दूसरे हफ्ते में हुए सैन्य टकराव के बाद डीएसी की यह पहली बैठक थी. बता दें कि भारत ने 7 मई की सुबह पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए अपने सैन्य शस्त्रागार में मौजूद विभिन्न उपकरणों का इस्तेमाल किया था. रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा, 'इन सैन्य हार्डवेयरों की खरीद से सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों में वृद्धि होगी.'
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स्वदेशी क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम के अधिग्रहण से पाकिस्तान सीमा पर भारत के एयर डिफेंस को मजबूत करने में मदद मिलेगी. इस सैन्य खरीद में मूर्ड माइंस, माइन काउंटरमेजर वेसल्स, सुपर रैपिड गन माउंट और सबमर्सिबल ऑटोनॉमस वेसल्स भी शामिल हैं. इनसे नौसेना और व्यापारिक जहाजों के लिए संभावित खतरों को कम करने में मदद मिलेगी.
इस रक्षा खरीद को ऐसे समय में मंजूरी मिली है, जब रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों के तेजी से आधुनिकीकरण पर ध्यान दे रहा है तथा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत के स्वदेशी मिलिट्री हार्डवेयर का व्यापक उपयोग किया गया, जिसमें आकाश मिसाइल सिस्टम, आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम और डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित विभिन्न अन्य उपकरण शामिल थे.
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पाकिस्तान जिस चीन निर्मित एचक्यू-9 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है, वास्तव में वह भारत द्वारा लॉन्च की गई कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइलों को प्रभावी रूप से रोकने में विफल रहा था. भारत ने पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी इस्तेमाल किया था.