केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कफ सिरप कोल्ड्रिफ से 20 बच्चों की मौत पर चल रहा विवाद केंद्र और तमिलनाडु के बीच दोषारोपण का नहीं बल्कि जवाबदेही का मामला है.
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन केंद्र की स्पष्ट सिफारिशों के बावजूद एक्शन लेने में असफल रहा.
सूत्रों का कहना है कि यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच का ब्लेम गेम नहीं है. तमिलनाडु एफडीए कोई एक्शन नहीं ले रहा. सवाल ये पूछा जाना चाहिए कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की सिफारिशों के बावजूद उन्होंने आपराधिक आरोप क्यों नहीं दायर किए? डीसीजीआई के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद लाइसेंस कैंसिल क्यों नहीं किया गया.
यह बयान तमिलनाडु औषधि नियंत्रण विभाग की 26 पेज की रिपोर्ट के बाद आया है, जिससे पता चला कि कोल्ड्रिफ बनाने वाली श्रेसन फार्मास्युटिकल्स ने 350 से अधिक उल्लंघन किए गए. इस रिपोर्ट में सफाई की कमी, जंग लगे उपकरण और गैर-फार्मा ग्रेड रसायनों के अवैध उपयोग की बात सामने आई.
इस रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु सरकार ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उत्पादन रोकने का आदेश दिया और इसे बंद करने की प्रक्रिया शुरू की.
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने कहा कि इससे नुकसान और ज्यादा ना हो इसके लिए हमने तुरंत एक्शन लिया. हमें सिंधवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप से बच्चे की मौत से जुड़े मामले में एक अक्टूबर को मध्य प्रदेश औषधि नियंत्रण विभाग से एक आपातकालीन संदेश मिला. हमने उसी दिन तमिलनाडु में इसकी ब्रिक्री रोक दी थी ताकि किसी बच्चे को इससे नुकसान ना पहुंचे. हमने इस सिरप को खरीदा नहीं है और सभी मौजूदा ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं ताकि कोई जोखिम न हो.