कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने अपनी 'दक्षिण भारत के लिए अलग देश' वाली टिप्पणी पर सफाई दी की है. साथ ही कहा कि उनका बयान केंद्र सरकार द्वारा 'धन वितरण में अन्याय' को ध्यान में लाने की कोशिश था. बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए डीके सुरेश ने कहा था कि "दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है" क्योंकि केंद्र दक्षिण के राज्यों के लिए निर्धारित धनराशि को उत्तर भारत में भेज रहा है.
डीके सुरेश ने सफाई देते हुए X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि एक प्राउड इंडियन और एक प्राउड कन्नडिगा! दक्षिण भारत और विशेष रूप से कर्नाटक ने धन वितरण में अन्याय की क्रूरता का सामना किया है. दूसरा सबसे बड़ा जीएसटी योगदान देने वाला राज्य होने के बाद भी केंद्र कर्नाटक और दक्षिणी राज्यों के साथ पूरी तरह से अन्याय कर रहा है, जबकि गुजरात जैसे राज्य के फंड में 51 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. अगर यह अन्याय नहीं है, तो क्या है?
उन्होंने कहा कि हम इस मिट्टी के बेटे हैं और हमें अपनी विकासात्मक गतिविधियों के लिए धन की आवश्यकता है. विकासात्मक गतिविधियों और सूखा राहत के लिए धन के बार-बार अनुरोध के बाद भी, केंद्र ने हमारी बात अनसुनी कर दी है. डीके सुरेश ने कहा कि वह एक "प्राउड इंडियन और कांग्रेसी" के रूप में भारत की एकता और अखंडता के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो, मैं कर्नाटक के प्रति अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखूंगा. जय हिंद! जय कर्नाटक.
डीके सुरेश ने कहा था कि हिंदी-क्षेत्र ने दक्षिण भारत पर जो स्थिति थोप दी है, उसके परिणामस्वरूप 'अलग देश' मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. उनकी इस टिप्पणी के बाद बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या और आर अशोक ने उन पर 'फूट डालो और राज करो की नीति' अपना रहे हैं.