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एक पता, 177 लोग... छिन जाएगा चेन्नई की कॉलोनी में बसे 26,000 परिवारों के वोटिंग अधिकार?

पेरुम्बक्कम तमिलनाडु के सबसे बड़े पुनर्वास स्थलों में से एक है, जहां चेन्नई के विभिन्न इलाकों से विस्थापित परिवारों को बसाया गया. यहां के निवासियों को नए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जारी किए गए, लेकिन अधूरे पते के साथ. इतने बड़े टाउनशिप में सिर्फ डोर नंबर बिना ब्लॉक नंबर के लगभग बेकार है.

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स्थानीय प्रतिनिधियों का कहना है कि 26,000 परिवारों में से केवल 3,000 के दस्तावेज़ों पर पूरा पता दर्ज है. (File Photo: ITG)
स्थानीय प्रतिनिधियों का कहना है कि 26,000 परिवारों में से केवल 3,000 के दस्तावेज़ों पर पूरा पता दर्ज है. (File Photo: ITG)

चेन्नई के पेरुम्बक्कम पुनर्वास कॉलोनी में रहने वाले करीब 26,000 परिवारों के वोटिंग अधिकार खतरे में हैं. कारण यह नहीं कि वे अयोग्य हैं बल्कि इसलिए कि चुनाव आयोग उन्हें कागजों पर ढूंढ नहीं पा रहा. दरअसल, इस कॉलोनी में जारी अधिकतर वोटर आईडी में केवल डोर नंबर दर्ज है, ब्लॉक नंबर नहीं.

इतनी बड़ी कॉलोनी में सिर्फ दरवाजा नंबर (डोर नंबर) से घर ढूंढना पाना लगभग नामुमकिन है, क्योंकि यहां करीब 200 से 250 ब्लॉक हैं. इसके चलते सैकड़ों मतदाता एक ही आधिकारिक पते पर पंजीकृत हो गए हैं, जिससे चल रही SIR प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है.

पते गायब और गड़बड़ी का जाल

पेरुम्बक्कम तमिलनाडु के सबसे बड़े पुनर्वास स्थलों में से एक है, जहां चेन्नई के विभिन्न इलाकों से विस्थापित परिवारों को बसाया गया. यहां के निवासियों को नए आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जारी किए गए, लेकिन अधूरे पते के साथ. इतने बड़े टाउनशिप में सिर्फ डोर नंबर बिना ब्लॉक नंबर के लगभग बेकार है.

स्थानीय प्रतिनिधियों का कहना है कि 26,000 परिवारों में से केवल 3,000 के दस्तावेज़ों पर पूरा पता दर्ज है. बाकी के पते या तो अधूरे हैं, या दोहराए गए, या गलत. पेरुम्बक्कम रेजिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नल्लथंबी ने बताया कि सिर्फ डोर नंबर के आधार पर लोगों को ढूंढना असंभव है. यहां 250 ब्लॉक हैं. सरकार ने नए दस्तावेज तो दे दिए, लेकिन अधूरे पते के साथ. ऐसे में कोई मतदाताओं को कैसे ढूंढेगा?

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177 लोग, एक ही पता!

आजतक द्वारा देखी गई मतदाता सूची में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया. डोर नंबर 1 पर 177 मतदाताओं का नाम दर्ज है. इसी तरह डोर नंबर 29 पर 16 लोग एक ही पते पर दर्ज मिले. ऐसे हजारों मामले पूरी कॉलोनी में फैले हुए हैं, जिसके कारण मतदाताओं की पहचान और सत्यापन लगभग असंभव हो गया है. ये अकेले मामले नहीं हैं. कॉलोनी में हज़ारों मतदाताओं के पते अधूरे या एक जैसे हैं, जिससे सत्यापन काम असंभव हो रहा है.

एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा कि गड़बड़ी बहुत बड़ी है. BLO मतदाताओं को ढूंढ ही नहीं पा रहे. सिस्टम फेल हो गया है.

BLOs नहीं ढूंढ पा रहे लोग

Booth Level Officers (BLOs) इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा असर झेल रहे हैं. एक BLO ने आजतक को बताया कि वह पूरे दिन में केवल 24 फॉर्म ही वितरित कर पाई क्योंकि मतदाताओं का पता लगाने में ही पूरा समय निकल गया. उनका लक्ष्य 935 मतदाताओं तक पहुंचने का था, लेकिन अब तक सिर्फ 150 ही ढूंढ पाई हैं यानी सिर्फ 16%, और दो हफ्ते से भी कम समय बचा है.

उन्होंने कहा, “यह एक बुरे सपने जैसा हो गया है. हम मतदाताओं को ढूंढ ही नहीं पा रहे. सिस्टम हमारी मदद नहीं कर रहा.”

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16 नवंबर को तमिलनाडु भर में विरोध प्रदर्शन

मतदाता सूची में भारी गड़बड़ियों और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की खामियों को देखते हुए तमिलनाडु में 16 नवंबर 2025 को सुबह 11 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार तुरंत कदम उठाकर लोगों के मताधिकार की रक्षा करे.

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