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नफरत फैलाने पर ईसाई पादरी को किसी स्टैंड-अप कॉमेडियन की तरह बख्शा नहीं जा सकता: मद्रास HC

ईसाई पादरी फादर पी जॉर्ज पोन्नैया कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. पोन्नैया ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

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Madras Court
Madras Court
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जॉर्ज पोन्नैया ने उड़ाया था हिंदू धर्म का मजाक
  • जॉर्ज पोन्नैया ने की FIR रद्द करने की मांग

मद्रास हाई कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करके एक धर्म का मजाक उड़ाने के बाद किसी ईसाई पादरी को बख्शा नहीं जा सकता. उच्च न्यायालय ने फादर पी जॉर्ज पोन्नैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. जॉर्ज पर कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

'आप कोई  स्टैंड-अप कॉमेडियन नहीं'

अदालत ने कहा कि आरोपी दूसरों की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के बाद ढिलाई की उम्मीद नहीं कर सकता है. साथ ही कहा कि उसे किसी आम टिप्पणीकार या मुनव्वर फारूकी जैसे स्टैंड-अप कॉमेडियन के रूप में नहीं देखा जा सकता है. जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कैथोलिक पादरी जॉर्ज की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. इस याचिका में पिछले साल जुलाई में कन्याकुमारी में भड़काऊ भाषण के लिए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी. 

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि "जब स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी या अलेक्जेंडर बाबू मंच पर प्रदर्शन करते हैं, तो वे दूसरों का मज़ाक उड़ाने के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. फिर, उनकी धार्मिक पहचान अप्रासंगिक है.  "कौन?" और कहाँ?" बोल रहा है ये मायने रखता है.''

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जॉर्ज पोन्नैया पर भारत माता का मजाक उड़ाने का आरोप

बता दें कि कन्याकुमारी पुलिस ने फादर जॉर्ज पोन्नैया के खिलाफ हिंदू पूजा पद्धति और भारत माता का मजाक उड़ाने, दो समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने और कोविड महामारी के दौरान गैरकानूनी सभा करने के लिए मामला दर्ज किया था. पोन्नैया ने राज्य के कन्याकुमारी जिले के अरुमानई में एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के एक मंत्री के खिलाफ भी आलोचनात्मक टिप्पणी की थी. पोन्नैया ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

पोन्नैया के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को आंशिक रूप से खारिज करते हुए न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि इस तरह की छूट केवल तर्कवादियों या व्यंग्यकारों या यहां तक ​​कि संविधान के तहत शिक्षाविदों के लिए उपलब्ध होगी. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता दूसरों के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान नहीं कर सकता.

भारत माता को बताया था संक्रमण और गंदगी के स्रोत

कोर्ट ने कहा- हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं पर हमला करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं थी. यह अनुचित है. याचिकाकर्ता ने उन लोगों का मजाक उड़ाया जो धरती माता (भूमि देवी) के प्रति श्रद्धा में नंगे पैर बाहर निकलते हैं जबकि ईसाई जूते पहनते हैं ताकि उन्हें खुजली न हो. उन्होंने धरती मां और भारत माता को संक्रमण और गंदगी के स्रोत के रूप में चित्रित किया था.

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