असम के गवर्नर ने 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है. कमेटी बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित क़ानून का मसौदा तैयार करेगी, साथ ही कमेटी गलत पहचान से अंतर्धार्मिक शादी ( inter religious), बाल विवाह के मामले में काजी की भूमिका जैसे मामलों को निपटने के लिए भी कानून में सुझाव देगी.
पांच सदस्यों की समिति में देवजीत सैकिया, advocate general, असम IG Singh, DGP, Assam नलिन कोहली, अतिरिक्ट AG, असम शामिल हैं. कमेटी विषय से जुड़े अलग अलग मसलों पर सुझाव लेगी. विरोध में लंबित याचिकाओं का अध्ययन करेगी. कमेटी विरोध में जो लोग हैं उनसे व्यक्तिगत तौर पर मिलकर उनके विचार जानेगी और लॉ कमिशन से भी मुलाकात करेगी. समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक के लिए राज्य सरकार को लगभग 150 सुझाव प्राप्त हुए हैं. इनमें से केवल तीन में इसका विरोध किया गया है. पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि प्रस्तावित कानून का आखिरी मसौदा अब शुरू होगा और अगले 45 दिनों में पूरा हो जाएगा.
मुख्यमंत्री ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा था, 'बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर अपडेट- हमें अपने सार्वजनिक नोटिस के जवाब में कुल 149 सुझाव प्राप्त हुए हैं. इनमें से 146 सुझाव बिल के पक्ष में हैं, जो मजबूत जनसमर्थन का संकेत है. हालांकि, तीन संगठनों ने विधेयक पर अपना विरोध व्यक्त किया है. अब हम प्रक्रिया के अगले चरण की ओर बढ़ेंगे, जिसमें अगले 45 दिनों में विधेयक का अंतिम मसौदा तैयार करना है, जिसमें 'लव जिहाद' का मुद्दा भी शामिल होगा. मुझे उम्मीद है कि दिसंबर में हम इस विधेयक को राज्य विधानसभा में पेश करने में सक्षम होंगे."
बता दें कि असम सरकार ने 21 अगस्त को एक नोटिस जारी कर विवादास्पद विषय पर प्रस्तावित कानून पर जनता की राय मांगी थी. सरमा द्वारा एक्स पर साझा किए गए नोटिस में लोगों से 30 अगस्त तक ईमेल या पोस्ट के जरिए अपनी राय भेजने का अनुरोध किया गया था.
बहुविवाह पर प्रतिबंध चाहती है सरकार
असम सरकार ने संबंधित अधिकारियों को बता दिया है कि वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के समर्थन में है और राज्य में बहुविवाह पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहती है. वहीं विपक्षी दलों ने पहले बहुविवाह पर कानून बनाने के सरकार के फैसले की आलोचना की थी.