संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन है. लोकसभा में शुक्रवार को संविधान पर चर्चा हुई. कन्नौज से समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने अपने भाषण में सत्ता पक्ष पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने सदन में प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति पर चुटकी लेते हुए कहा, 'ये कैसी चर्चा संविधान की, जो है बिना प्रधान की'. संविधान पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को याद किया.
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
अखिलेश यादव ने कहा, 'मैं सबसे पहले लाखों लोग जिन्होंने भारत देश की आजादी में अपनी जान निछावर कर दी, आजादी के बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और तमाम हमारे वरिष्ठ लोग जिन्होंने हमें संविधान दिया, उन सभी को याद करना चाहता हूं. आज 13 तारीख को हम और आप सदन में बैठे हैं. आज के दिन एक ऐसी घटना घटी थी जब अगर सुरक्षाकर्मियों ने अपनी सूझ-बूझ और बहादुरी के साथ उन आतंकवादियों का मुकाबला ना किया होता तो हमारे देश के बहुत सारे महत्वपूर्ण नेता जो उस समय सदन में थे, न जाने क्या स्थिति बनती.'
उन्होंने कहा, 'मैं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. भारत राज्यों का एक संघ है और हमें विविधता पर एकता में गर्व है. यह हमारा संविधान है जिसने भाषा, क्षेत्रीय, धार्मिक और जातीय विविधता वाले हमारे देश को एक साथ रखा है.'
'पीडीए के लिए संविधान जन्म और मरण का विषय'
अखिलेश ने कहा, 'डॉ अंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि हम उसके अनुसार कैसे काम करते हैं. डॉ अंबेडकर ने कहा था कि मैंने संविधान का निर्माण दलितों, बहिष्कृतों और वंचित वर्ग को अधिकार दिलाने के लिए किया है. यह वही संविधान है जो समय-समय पर हमारा रक्षा कवच बनता है. यह संविधान हमारी सुरक्षा है, संविधान हमें समय-समय पर शक्ति देता है. सविधान ही देश के 90% शोषित उपेक्षित और पीड़ित वंचित जनता के अधिकारों का सच्चा रक्षक है.'
उन्होंने कहा, 'संविधान हमारा सबसे बड़ा मददगार है. यह हमारे जैसे लोग और देश के कमजोर लोगों के लिए, खासकर पीडीए के लिए संविधान जन्म और मरण का विषय है. संविधान ही लोकतंत्र की प्राण वायु है. डॉ अंबेडकर ने स्पष्ट कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा हो अगर उसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे तो परिणाम अच्छे नहीं निकलेंगे. इसलिए अध्यक्ष महोदय इस संविधान पर लगभग 75 वर्ष के बाद संसद में फिर चर्चा हो रही है.'
'गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति आय का डेटा जारी करें'
अखिलेश यादव ने कहा, 'आज हमारे देश की सीमाएं सिकुड़ रही हैं. हमारे संसदीय मंत्री अरुणाचल प्रदेश में चीन के बिल्कुल बगल में रहते हैं, वो यह जानते होंगे कि हमारे पड़ोस में कितने गांव बस गए हैं. न जाने कितने घर बसा दिए गए हैं. लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं. हम अपनी सीमा में ही पीछे हटे हैं और चीन जो हमारी सीमा में अंदर आ गया था वह हमारी सीमाओं से आंशिक रूप से पीछे हटा है. उस सीमा के पास एक रेजांगला मेमोरियल बना था, जिस समय लद्दाख को लेकर यह बात उठी थी रेजांगला मेमोरियल को तोड़ दिया गया था. आज वह रेजांगला मेमोरियल वहां नहीं है. 75 साल बाद हमारी सीमाएं कितनी सुरक्षित हैं? क्या लद्दाख में हमारे फौजी वहीं खड़े हैं?'
उन्होंने कहा, 'आज देश में 140 करोड़ में से 82 करोड़ लोग सरकारी अनाज पर जिंदा हैं. जो देश को यह कहते हों कि हम दुनिया की सबसे रफ्तार से चलने वाली अर्थव्यवस्था हैं. तीन पर पहुंच गए, और ऊपर जाएंगे. मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि जब 82 करोड़ लोग सरकारी अनाज पर जिंदा हैं, वहीं दूसरी तरफ देश की संपूर्ण संपत्ति के दो तिहाई हिस्से पर कुछ परिवारों का कब्जा है. अगर सरकार में इतनी बहादुरी और हिम्मत है तो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 60% लोगों की प्रति व्यक्ति आय का डेटा जारी करे.'
'जब मौका मिला जातीय जनगणना कराएंगे'
अखिलेश ने कहा, 'हमारी प्रस्तावना कहती है कि धर्मनिरपेक्ष राज्य बने. क्या सरकार इस पर अमल कर रही है. देश के 20 करोड़ से ज्यादा अल्पसंख्यक, विशेष कर मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयास चल रहा है. उनके पूजा स्थलों पर प्रशासन की मदद से कब्जा किया जा रहा है. अगर यह धर्मनिरपेक्षता है तो धर्मशासित राज्य की परिभाषा क्या है. मुझे याद है कि जिस समय उत्तर प्रदेश का इलेक्शन चल रहा था बहुत से लोगों को वोट डालने के अधिकार से रोका गया. उन्हें डराया गया. ऐसे इंतजाम किए गए कि वह वोट डालने के लिए बूथ तक ना पहुंच पाएं. क्या यही लोकतांत्रिक गणराज्य है?'
उन्होंने कहा, 'जातीय जनगणना अगर आप करवा सकते हैं तो आप कराएं नहीं तो जब कभी हम लोगों को मौका मिलेगा हम जातीय जनगणना कराएंगे.' सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा, 'आज अन्याय के खिलाफ विचार व्यक्त करने पर जेल हो रही है. आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ है, अगर भाजपा के धर्म के नहीं हैं, दूसरे धर्म के हैं तो प्रताड़ना के हकदार हैं. अब तो उपासना करने पर भी दिक्कत है क्योंकि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने वाले तत्व इस देश को शांति से रखना ही नहीं चाहते. मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं.'
'जानबूझकर पेपर लीक कराए जा रहे'
सपा अध्यक्ष ने कहा, 'जो हालात उत्तर प्रदेश में हैं ऐसे हालात पहले कभी किसी ने नहीं देखे, जहां पर कानून की समय-समय पर धज्जियां उड़ रही हैं. हमारा प्रदेश कस्टोडियल डेथ्स में सबसे आगे जा रहा है, महिलाओं के उत्पीड़न में सबसे आगे जा रहा है. यह मैं नहीं कह रहा बल्कि इस सरकार के आंकड़े बता रहे हैं. डबल इंजन की सरकार चलने वाले, पहले तो सिर्फ इंजन टकराते थे लेकिन अब डिब्बे भी टकराने लगे हैं. रक्षा मंत्री भी इसी प्रदेश से आते हैं, प्रधानमंत्री भी इसी प्रदेश से आते हैं. आज के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश पीछे दिखाई दे रहा है. आए दिन पेपर आउट, पेपर लीक. जानबूझकर पेपर लीक कराए जा रहे हैं ताकि परीक्षा रद्द की जा सके. अग्निवीर वाला सवाल आज भी वैसे का वैसा है. हम लोग अग्निवीर वाली व्यवस्था कभी स्वीकार नहीं कर सकते.'
'यह कैसी चर्चा संविधान की...'
अखिलेश यादव ने कहा, 'यह कैसी चर्चा संविधान की, जो बिना प्रधान की. संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा और न्याय बचेगा तभी सबको बराबर मान सम्मान मिलेगा. भेदभाव भी मिटेगा. आज फिर से संविधान को बचाने के लिए एक और करो या मरो आंदोलन की जरूरत है. हमारे बहुत सारे साथी इधर के ही उधर हैं. अगर उधर वाले इधर आ गए तो ये लोग सत्ता से बाहर हो जाएंगे.