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Maharashtra : लोन पास कराने के बदले ली थी रिश्वत, HDFC बैंक के दो अधिकारियों को तीन साल की कैद

लोन पास करने के लिए रिश्वत मांगने वाले एक निजी बैंक के दो अधिकारियों को तीन साल की जेल हुई है. दोनों एचडीएफसी बैंक की पुणे के बारामती के जलोची स्थित ब्रांच में कार्यरत थे. मामला साल 2020 का है. मामले की सुनवाई सीसीआई कोर्ट में चल रही थी, जिसमें आज फैसला सुनाया गया.

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लोन के बदले रिश्वत मांगने वाले बैंक कर्मचारियों को हुई जेल.
लोन के बदले रिश्वत मांगने वाले बैंक कर्मचारियों को हुई जेल.

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे में सीबीआई (CBI) मामलों के विशेष न्यायाधीश ने एचडीएफसी बैंक के दो अधिकारियों को को तीन-तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. दोनों पर रिश्वत लेने का आरोप है. दोषी अधिकारियों में एक तत्कालीन रिलेशनशिप मैनेजर (Relationship Manager) और दूसरा तत्कालीन ग्रामीण बिक्री कार्यकारी (Rural Sales Executive) के पद पर तैनात था.

दरअसल, बारामती के जलोची में एचडीएफसी की शाखा है. यहां पर पदस्थ तात्कालीन रिलेशनशिप मैनेजर नितिन निकम (रिटेल एग्री) और तत्कालीन ग्रामीण बिक्री कार्यकारी गणेश धायगुडे को लोन पास करने के एवज में दो लाख की रिश्वत लेने के जुर्म में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. मामले में फैसला सुनाते हुए दोनों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है. साथ ही नितिन निकम पर 60 हजार रुपये और गणेश धायगुडे पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. 

लोन पास करने के बदले मांगे थे 2.70 हजार रुपये

दरअसल, साल 30 जुलाई 2020 सीबीआई के पास शिकायक आई थी. शिकायकर्ता ने कहा था तात्कालीन रिलेशनशिप मैनेजर नितिन निकम मेरा 99 लाख रुपये का लोन पास करने के एवज में 2 लाख 70 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था. 

मांगी गई रकम कम कर दी गई फिर सवा दो लाख रुपये देना तय हुआ. फिर नितिन ने अपने जूनियर अधिकारी गणेश धायगुडे को रिश्वत की रकम लेने के लिए संबंधित व्यक्ति के पास भेजा.

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सीबीआई की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था 

मगर, मौके पर पहले से जाल बिछाए बैठी सीबीआई ने गणेश को रिश्वत की रकम के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया. इसके बाद सीबीआई ने दोनों गणेश और नितिन के परिसरों की भी तलाशी ली, जिसमें टीम को कई सारे बैंक के दस्तावेज बरामद हुए थे.

जांच के बाद टीम ने सीबीआई मामलों के पुणे के विशेष न्यायाधीश के समक्ष दोनों आरोपियों के खिलाफ दिनांक 18.12.2020 को आरोप पत्र दायर किया गया था. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों को कसूरवार पाया और उन्हें दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई.

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