फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में नवनीत राणा और उनके पिता हरभजन कुंडल को बड़ा झटका लगा है. मुंबई की एक विशेष अदालत ने उनकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आपराधिक मामले से उन्हें बरी करने से इनकार करने वाली एक मजिस्ट्रेट अदालत के खिलाफ सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
कोर्ट ने माना है कि नवनीत राणा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सामग्री है. विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने राणा और उसके पिता को कोई राहत नहीं दी.
क्या है जाति प्रमाणपत्र का विवाद?
शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल ने आरोप लगाया था कि नवनीत कौर राणा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अमरावती से लोकसभा का चुनाव जीता था. नवनीत राणा के सर्टिफिकेट को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की गई थी. याचिका में दावा किया गया था कि नवनीत राणा मूलत: पंजाब से आती हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह लबाना जाति से आती हैं, जो कि महाराष्ट्र में SC की श्रेणी में नहीं आती हैं. ऐसे में उन्होंने फर्जी तरीके से अपना जाति का सर्टिफिकेट बनवाया, नवनीत राणा पर स्कूल के फर्जी डॉक्यूमेंट्स दिखाकर सर्टिफिकेट बनाने का आरोप लगा.
ऐसे में आज सत्र न्यायालय ने उन्हें एक और झटका दे दिया है. अगर इस मामले में नवनीत राणा की हार होती है तो उनकी लोकसभा सीट खतरे में आ सकती है.
ऐसे चर्चाओं में आई थीं नवनीत राणा
मई महीने में नवनीत राणा की मीडिया में खूब चर्चा थी. जब नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को 23 अप्रैल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था. दोनों की गिरफ्तारी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने के विवाद में हुई थी.
नवनीत राणा ने उद्धव ठाकरे को दी थी चेतावनी
अमरावती से सांसद नवनीत राणा का नाम देश के सामने तब ज्यादा सुर्खियों में था, जब उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की चेतावनी दी थी.