पुणे की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने वीर सावरकर मानहानि मामले में अहम आदेश देते हुए YouTube LLC और Google LLC को निर्देश दिया है कि वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जुड़े एक वीडियो के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कोर्ट के सामने पेश करें. यह आदेश हिंदू विचारक विनायक दामोदर सावरकर के ग्रैंड-नेफ्यू सत्यकी सावरकर की ओर से दायर याचिका पर दिया गया है.
अदालत ने कहा कि मांगा गया इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जांच और ट्रायल के लिए प्रासंगिक और आवश्यक प्रतीत होता है, इसलिए न्याय के हित में YouTube/Google को विधिवत अधिकृत अधिकारी के जरिए रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है.
किस वीडियो की है बात
यह मामला राहुल गांधी के एक कथित भाषण से जुड़ा है, जिसे सावरकर ने मानहानि का आधार बनाया है. विवादित वीडियो का शीर्षक है- “Indians abroad are shining examples of our culture of respect, Interaction with diaspora in London”,
जो कथित तौर पर 5 मार्च 2013 को राहुल गांधी के आधिकारिक YouTube चैनल पर अपलोड किया गया था.
सुनवाई के दौरान सावरकर के वकील संग्राम कोल्हटकर ने कोर्ट को बताया कि जिस CD में कथित मानहानिकारक वीडियो जमा कराया गया था, वह अचानक खाली निकली. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोर्ट में दी गई कुछ CDs गायब हो गई हैं.
इसके बाद वकील कोल्हटकर ने मांग की कि YouTube/Google कोर्ट को मूल वीडियो उपलब्ध कराएं. साथ ही मेटाडेटा भी दें, जिसमें अपलोड की तारीख-समय, URL, यूनिक वीडियो ID, हैश वैल्यू/डिजिटल सिग्नेचर, सर्वर लॉग और वीडियो की बैकअप या आर्काइव कॉपी शामिल हो. इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड छेड़छाड़-रोधी (tamper-proof) डिजिटल फॉर्मेट में दिया जाए.
राहुल गांधी के वकील ने किया विरोध
राहुल गांधी की ओर से पेश वकील मिलिंद पवार ने इन मांगों का विरोध किया. CD के कथित रूप से गायब होने के मुद्दे पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार CDs कोर्ट को नहीं सौंपी गई थीं, बल्कि उनकी प्रतियां राहुल गांधी को दी गई थीं. ऐसे में कोर्ट कस्टडी से CD गायब होने का सवाल ही नहीं उठता. वहीं, खाली CD के मामले में भी कोर्ट ने आगे कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया.
पेन ड्राइव सबूत के तौर पर स्वीकार
हालांकि, कोर्ट ने सत्यकी सावरकर को राहत देते हुए राहुल गांधी के भाषण से जुड़े दो पेन ड्राइव सबूत के तौर पर जमा करने की अनुमति दे दी. अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी, जिसमें ये वीडियो कोर्ट में चलाकर दिखाए जाएंगे. इसके बाद एक पेन ड्राइव आरोपी को दी जाएगी और दूसरी कोर्ट की कस्टडी में सबूत के तौर पर रखी जाएगी.