मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल आज शुक्रवार को मुंबई के आज़ाद मैदान में विशाल प्रदर्शन करने जा रहे हैं. इस प्रदर्शन में हज़ारों समर्थकों के जुटने की संभावना है. जरांगे का यह मार्च पुणे के ऐतिहासिक शिवनेरी किले से शुरू हुआ था, जहां प्रतिभागियों ने किले की मिट्टी माथे पर लगाकर संघर्ष का संकल्प लिया. यह यात्रा गणेशोत्सव के दौरान हो रही है और जरांगे ने साफ कहा है कि वह अपने उद्देश्य के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.
मुंबई में होने वाले प्रदर्शन पर अदालत ने पाबंदी लगाते हुए केवल 5,000 लोगों को एक दिन के लिए अनुमति दी है. जरांगे पाटिल ने इस शर्त का विरोध किया है, जिससे राज्य की सियासत और गरमा गई है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार पहले ही मराठा समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण दे चुकी है, जिसे अदालत ने भी मान्यता दी है. उन्होंने मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग पर सवाल उठाया, क्योंकि इसमें पहले से ही 350 जातियां आती हैं. हालांकि, उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि प्रदर्शनकारियों को लोकतांत्रिक अधिकार है और सरकार उनसे सम्मानपूर्वक बातचीत करेगी.
कांग्रेस और शिवसेना का हमला
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाल ने अदालत द्वारा लगाई गई सीमा को हास्यास्पद बताते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार अदालत और पुलिस का सहारा लेकर लोकतंत्र को दबा रही है. उन्होंने फडणवीस से कहा कि वह दिल्ली जाकर 50% आरक्षण की सीमा हटाने की पैरवी करें. सापकाल ने याद दिलाया कि कांग्रेस ने पहले भी मराठा आरक्षण का समर्थन किया था.
उन्होंने फडणवीस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया और कहा कि 240 विधायकों का समर्थन होने के बावजूद यदि इसे प्राथमिकता दी जाए तो समाधान तुरंत निकाला जा सकता है.
सवालों से बचते दिखे शिंदे
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने मुंबई को मराठी पहचान का गढ़ बताते हुए जरांगे के प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन किया. राउत ने फडणवीस को याद दिलाया कि उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले मराठा आरक्षण का वादा किया था, जिसे अब पूरा करना चाहिए.
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे से मुलाकात के बाद जरांगे के मुद्दे पर सवालों से बचते हुए केवल इतना कहा, “कुछ बातें गोपनीय रहनी चाहिए.” उनकी यह टिप्पणी राज्य की राजनीति में और रहस्य पैदा कर गई है.