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मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से कूदे अजित गुट के MLAs और डिप्टी स्पीकर! VIDEO

अजित पवार के आदिवासी विधायकों की मांग है धनगरों को आदिवासी आरक्षण में कोटा नहीं दिया जाए और उनके लिए अलग से रिजर्वेशन की व्यवस्था की जाए. इस मुद्दे को लेकर विधायकों ने मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से सेफ्टी नेट पर छलांग लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. उनके साथ डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल भी सेफ्टी नेट में कूद गए.

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अजित पवार गुट के ट्राइबल विधायकों ने मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से सेफ्टी नेट में कूदकर धनगरों को आदिवासी कोटे से आरक्षण देने का विरोध किया. (Aajtak Photo)
अजित पवार गुट के ट्राइबल विधायकों ने मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से सेफ्टी नेट में कूदकर धनगरों को आदिवासी कोटे से आरक्षण देने का विरोध किया. (Aajtak Photo)

अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के कुछ आदिवासी विधायकों और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल ने शुक्रवार को मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के प्रशासनिक मुख्यालय 'मंत्रालय भवन' की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी. गनीमत रही के ये सभी बिल्डिंग में लगे सेफ्टी नेट में फंस गए और नीचे फर्श पर गिरने से बच गए और बड़ा हादसा होने से टल गया. यह घटना कैमरे में कैद हो गई और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

दरअसल, ये सभी आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे थे. अजित पवार के इन विधायकों की मांग है धनगरों को आदिवासी आरक्षण में कोटा नहीं दिया जाए और उनके लिए अलग से रिजर्वेशन की व्यवस्था की जाए. इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के आदिवासी विधायक लगातार आंदोलन कर रहे हैं. मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान अजित पवार गुट के आदिवासी विधायकों ने मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से सेफ्टी नेट पर छलांग लगाकर विरोध प्रदर्शन किया. उनके साथ डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल भी सेफ्टी नेट में कूद गए.

नरहरि झिरवाल के साथ कुछ आदिवासी विधायकों ने बुधवार को सह्याद्री गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और मांग की कि आदिवासी आरक्षण में किसी अन्य जाति को शामिल नहीं किया जाए. हालांकि, सीएम से मिलने के लिए उन्हें 7 घंटे तक इंतजार कराया गया. इससे आदिवासी विधायक नाखुश थे, काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी उनकी सीएम से मुलाकात नहीं हो सकी, जिसके चलते कुछ विधायक मंत्रालय में नेट पर कूद पड़े. यह घटना महाराष्ट्र कैबिनेट की चल रही बैठक के दौरान घटी.

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धनगर पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा क्षेत्र में रहते हैं और चरवाहा समुदाय से आते हैं. यह समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है.  समुदाय का कहना है कि उन्हें कोटा से वंचित होना पड़ा है क्योंकि केंद्र के डेटाबेस में 'धनगर' का कोई उल्लेख नहीं है, बल्कि एसटी के हिस्से के रूप में 'धनगड़' की पहचान की गई है. धनगर वर्तमान में घुमंतू जनजातियों की सूची में हैं. 

इससे पहले सितंबर में, इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन यशवंत सेना के प्रमुख माधव भाऊ गाडे ने कहा था, 'अगर मुख्यमंत्री के पास धनगर आरक्षण और हमारी अन्य मांगों को सुनने समझने के लिए समय नहीं है, तो हमें भी उनकी जरूरत नहीं है.' इससे पहले 30 सितंबर को सैकड़ों आदिवासियों ने गोंदिया शहर में विरोध प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र सरकार धनगरों को एसटी वर्ग में शामिल करने की कोशिश कर रही है. 

जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें कहा गया कि धनगर (चरवाहे) आदिवासी नहीं हैं और उन्हें एसटी सूची में शामिल करने का कोई भी प्रयास आदिवासियों के साथ अन्याय होगा. राज्य मंत्री शंभुराज देसाई ने हाल ही में कहा कि महाराष्ट्र सरकार यह स्थापित करने के लिए तीन आईएएस अधिकारियों सहित एक पैनल गठित करेगी कि क्या 'धनगर' और 'धनगड़' एक ही समुदाय के अलग-अलग नाम हैं.

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