मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आखिरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं. गुरुवार को राजभवन में सुबह 11 बजे होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 24 या 25 मंत्री शपथ ले सकते हैं. कमलनाथ सरकार गिराकर शिवराज सिंह चौहान सरकार की इबारत लिखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का कैबिनेट में पूरी तरह से दबदबा होगा. हालांकि, एक अहम सवाल है कि क्या शिवराज सिंधिया खेमे से किसी को डिप्टी सीएम बनाएंगे?
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार में मंत्री पद के 40 से 45 बीजेपी नेता दावेदार माने जा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री सहित 35 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं. फिलहाल शिवराज समेत कुल छह सदस्य अभी कैबिनेट में हैं. इस तरह से अब 29 मंत्री ही बनाए जा सकते है, जिसमें से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह 24 से 25 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं.
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सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को पहले ही शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर अप्रैल में शामिल कर लिया गया है. गुरुवार को होने वाले विस्तार में सिंधिया खेमे से 7-8 और विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है. वहीं, बीजेपी में भी मंत्री बनने की लंबी फेहरिस्त है, जिनमें तीन से लेकर सात-आठ बार के जीतने वाले विधायक शामिल हैं.
सिंधिया समर्थकों में प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, बिसाहू लाल सिंह और हरदीप सिंह डंग जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं. साथ ही सिंधिया खेमे में किसी एक वरिष्ठ मंत्री को डिप्टी सीएम भी बनाए जाने की मांग भी रही है.
वहीं, बीजेपी की ओर से गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे सिंधिया, अरविंद सिंह भदौरिया, विश्वास सारंग, संजय पाठक, राजेंद्र शुक्ला, हरिशंकर खटीक, अजय विश्नोई और रामपाल सिंह जैसे बीजेपी नेता यह मानकर चल रहे हैं कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है. हालांकि, सिंधिया के समर्थकों के आने के बीजेपी के कई दिग्गजों की राह में कांटे बन गए हैं. ऐसे में देखना है कि किसे शिवराज कैबिनेट में जगह देते हैं.
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दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने चहेते तुलसी सिलावट को कांग्रेस सरकार में उप-मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे, पर सत्ता की कमान कमलनाथ के हाथों में होने के चलते यह अरमान पूरा नहीं हो सका था. मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सत्ता से विदाई में सिंधिया ने अहम भूमिका अदा की थी. सिंधिया के साथ छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मध्य प्रदेश में शिवराज को सत्ता में आने का मौका मिला. कमलनाथ सरकार में जो नहीं हो सका था, अब शिवराज क्या सिंधिया समर्थक को अपनी कैबिनेट में डिप्टी सीएम बनाएंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद भी इस बात को स्वीकारा था कि 2018 में सरकार गठन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश में डिप्टी सीएम के पद का ऑफर मिला था, लेकिन सिंधिया खुद उपमुख्यमंत्री बनने के बजाय अपने करीबी तुलसीराम सिलावट को बनाना चाहते थे. इस बात को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वीकार नहीं किया था.