मध्य प्रदेश में सियासी इतिहास खुद को दोहरा रहा है. 52 साल पहले द्वारिका प्रसाद मिश्र की कांग्रेसी सरकार गिराने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने गोविंद नारायण सिंह की सरकार में जिस तरह अपना असर कायम किया था, क्या कमलनाथ सरकार गिराकर शिवराज सिंह चौरान सरकार की इबारत लिखने वाले राजमाता के पौत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया वैसा ही असर दिखा पाएंगे?
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने चहेते तुलसी सिलावट को कांग्रेस सरकार में उप-मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे, लेकिन सत्ता की कमान कमलनाथ के हाथों में होने के चलते यह अरमान पूरा नहीं हो सका. अब मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार में सिंधिया के पसंदीदा अफसर की तैनाती तो उनके मर्जी के जिलों में होने लगी है. वहीं, सिंधिया चाहते हैं कि जो कमलनाथ सरकार में नहीं हुआ, वह शिवराज सरकार में हो जाए और तुलसी सिलावट को शिवराज कैबिनेट में डिप्टी सीएम पद से नवाजा जाए.
बता दें कि कमलनाथ सरकार गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ नरोत्तम मिश्रा की भी बेहद अहम भूमिका रही है. इसी के चलते नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, लेकिन शिवराज की ताजपोशी के बाद अब कैबिनेट में जगह मिलना तय है. हालांकि, देखने वाली बात यह होगी कि वह डिप्टी सीएम के पद से नवाजे जाएंगे या फिर नहीं है.
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मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई की इबारत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखी थी, जिसके चलते छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मध्य प्रदेश में शिवराज को सरकार बनाने का अवसर मिला. अब सिंधिया चाहते हैं कि जो कमलनाथ सरकार में नहीं हुआ, वह शिवराज सरकार में हो जाए.
सूत्रों की मानें तो सिंधिया को खुश करने के लिए बीजेपी तुलसी सिलावट को डिप्टी सीएम बनाने का दांव चल सकती है. कमलनाथ सरकार से बगावत ही सिंधिया समर्थक विधायकों और मंत्रियों ने इसीलिए की थी कि उनके समर्थकों को कैबिनेट में खास तवज्जो मिले.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद भी इस बात को स्वीकारा था कि 2018 में सरकार गठन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश में डिप्टी सीएम के पद का ऑफर मिला था, लेकिन सिंधिया खुद उपमुख्यमंत्री बनने के बजाय अपने करीबी तुलसीराम सिलावट को बनाना चाहते थे. इस बात को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वीकार नहीं किया था, लेकिन उनके करीबियों को कैबिनेट में जगह दी गई थी.
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कोरोना संकट के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कह दिया है कि अभी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा. पर जब भी मंत्रिमंडल का गठन होगा तो कांग्रेस से बगावत कर शिवराज सरकार के गठन में सहयोग करने वाले पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों की किस्मत का भी ताला जरूर खुलेगा. हालांकि, इनकी किस्मत की चाबी सिंधिया के ही हाथ में होगी.
इस लिहाज से तुलसी सिलावट के अलावा पिछली सरकार में मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी को शिवराज कैबिनेट में मौका मिल सकता है. सिंधिया समर्थक बागी मंत्री पुराने महकमों से बेहतर विभाग चाह रहे हैं. सिंधिया अपनी 'पसंद-नापसंद' से बीजेपी को पहले ही 'अवगत' करा चुके हैं. हालांकि यह देखना होगा कि नई परिस्थितियों में तुलसीराम सिलावट को डिप्टी सीएम बनाने में कामयाब रहते हैं या फिर नहीं?